भुवनेश्वर : राज्य मंत्रिमंडल ने बुधवार को ममता योजना को प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) के साथ विलय करने और इसका नाम बदलकर ममता-पीएमएमवीवाई करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। ममता के तहत गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।
मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में नई योजना का नाम बदलने को मंजूरी दी गई। फैसले की घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह योजना 1 अप्रैल, 2025 से पूर्वव्यापी रूप से लागू होगी। नई योजना के लिए अगले पांच वर्षों में लगभग 2,670 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले ममता योजना के तहत आने वाले लाभार्थियों को बेटी के जन्म पर 10,000 रुपये मिलते थे। अब ऐसे लाभार्थियों को नई योजना के तहत 12,000 रुपये मिलेंगे। हालांकि, ममता-पीएमएमवीवाई के तहत बेटा के लिए सहायता राशि 10,000 रुपये पर अपरिवर्तित रहेगी।

हालांकि, PBTG समुदायों की महिलाओं को पहले दो बच्चों के बाद भी लड़की के जन्म पर 12,000 रुपये और लड़के के जन्म पर 10,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि मिलती रहेगी।
एडब्ल्यूडब्ल्यू और एडब्ल्यूएच को पहले क्रमशः 200 रुपये और 100 रुपये प्रोत्साहन राशि मिल रही थी, पर इस योजना में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के लिए प्रोत्साहन राशि को क्रमशः 250 रुपये और 150 रुपये तक बढ़ाया गया है। पीएमएमवीवाई योजना के लिए पात्रता मानदंड ममता-पीएमएमवीवाई योजना पर लागू होंगे। राज्य सरकार को अगले पांच वर्षों में इस योजना पर लगभग 2,670 करोड़ रुपये खर्च करने की उम्मीद है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र की पीएमएमवीवाई योजना के पात्रता मानदंड ममता-पीएमएमवीवाई योजना पर भी लागू होंगे।
बैठक के दौरान, कैबिनेट ने मयूरभंज जिले के जशीपुर ब्लॉक के अनलाबेनी में इनफ्लक्स बंड सहित खैरीबंधन ब्यारेज परियोजना के निर्माण के लिए 97.67 करोड़ रुपये की निविदा को भी मंजूरी दी।
परियोजना पूरी होने पर जिले के जशीपुर, रारुआन और सुकरुली ब्लॉकों के 47 गांवों में 6950 हेक्टेयर खेती योग्य भूमि को भूमिगत पाइपलाइन प्रणाली के माध्यम से सुनिश्चित खरीफ सिंचाई प्रदान की जाएगी। यह परियोजना मयूरभंज के 35,000 से अधिक लोगों को पेयजल सुविधा भी प्रदान करेगी।
इसके अलावा, कैबिनेट ने क्योंझर में धरणीधर विश्वविद्यालय के दक्षिण और उत्तर परिसरों के निर्माण के लिए 40.197 एकड़ भूमि को सभी शुल्कों से मुक्त पट्टे पर देने को भी मंजूरी दी। इसने विश्वविद्यालय पर 140.71 करोड़ रुपये का सरकारी बकाया और 50.17 लाख रुपये का आवर्ती बकाया भी माफ कर दिया।
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