Odisha News: भुवनेश्वर. भुवनेश्वर के बाहरी इलाके स्थित कालारहांगा गांव में एक अप्रत्याशित खोज ने स्थानीय लोगों को चौंका दिया. गांव निवासी परिक्षित पाठी के घर में सात पीढ़ियों से संजोकर रखे गए 300 साल पुराने लकड़ी के संदूक में एक जिंदा सांप मिला. परिक्षित के परिवार के अनुसार, उन्होंने संदूक में सांप को देखकर तुरंत उसे बंद कर दिया और किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं की. सुरक्षा की दृष्टि से उन्होंने तुरंत स्नेक हेल्पलाइन को संपर्क किया. सांप बचावकर्मी पूर्णचंद्र दास मौके पर पहुंचे और करीब 3 फीट लंबा विषहीन सांप सुरक्षित रूप से बाहर निकाल लिया. सांप को सुरक्षित स्थान पर छोड़ा गया.

सांप को पकड़ने के बाद उसे मानव वस्तियों से दूर प्राकृतिक वातावरण में छोड़ दिया गया, जिससे न सिर्फ सांप की सुरक्षा सुनिश्चित हुई बल्कि स्थानीय लोगों को भी राहत मिली. परिक्षित ने बताया कि यह संदूक कई पीढ़ियों से उनके परिवार में है और इसका इतिहास लगभग तीन शताब्दियों पुराना है. हालांकि प्राचीन कहानियों और लोककथाओं में यह विश्वास रहा है कि सांप खजाने वाले संदूकों की रक्षा करते हैं, परंतु इस संदूक में कोई बहुमूल्य वस्तु नहीं थी सिर्फ इतिहास और रहस्य. स्नेक हेल्पलाइन के महासचिव शुभेदु मालिक ने बताया, ‘यह मान्यता रही है कि सांप सोने-चांदी से भरे संदूकों की रक्षा करते हैं. हालांकि, वैज्ञानिक रूप से देखा जाए तो संभवतः पहले किसी चूहे या अन्य छोटे जानवर ने संदूक में सुराख किया होगा, जिससे होकर सांप अंदर आ गया.
पुरी श्रीमंदिर रत्न भंडार से जुड़ी यादें ताजा
दिलचस्प बात यह है कि यह घटना पुरी के प्रसिद्ध रत्न भंडार की कहानियों की भी याद दिलाती है, जहां सांपों की उपस्थिति को लेकर कई मिथक हैं. मालिक ने बताया कि हाल ही में हुए निरीक्षण के दौरान स्नेक हेल्पलाइन की टीम श्रीमंदिर के बाहर भी मौजूद थी, हालांकि उन्हें अंदर जाने की आवश्यकता नहीं पड़ी. यह घटना पुरानी मान्यताओं और वैज्ञानिक तथ्यों के अद्भुत मेल को दर्शाती है, जिसने न केवल ग्रामीणों को चौंका दिया बल्कि सांस्कृतिक विरासत और प्रकृति के बीच के संबंध पर भी चर्चा छेड़ दी.