पुरषोत्तम पात्रा, गरियाबंद.   मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के द्वारा दी हुई सिंचाई योजना की सौगात पर ओडिशा में कांग्रेस ने विरोध शुरू कर दिया है . वहीं इस पूरे मामले में विवाद बढ़ता देख ओड़िसा के नवरंगपुर जिला प्रशासन ने धारा 144 लगा कर सीमा को प्रतिबंधित कर दिया है. ओड़िसा के नवरंगपुर जिले की सीमा से देवभोग के अमाड़ गांव में तेलन्दी नदी और बरही नदी की सीमा पर 49 करोड़ के लागत से सिंचाई योजना का काम चल रहा है,पिछले साल आमाड़ गांव पहुंचे सीएम रमन सिंह ने ग्रामीणों की मांग पर इस सिंचाई योजना को मंजूरी दी थी.

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कार्य शुरू होने के बाद से ही ओडिशा प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष एवं पूर्व सांसद प्रदीप मांझी ने यह कह कर विरोध शुरू कर दिया है कि, सिंचाई योजना के बनने से सीमा से लगे ओड़िसा के दर्जनों किसानों के 150 एकड़ कृषि भूमि जलमग्न हो जाएगा.

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अलावा मांझी ने की काम रोकने की मांग

विरोध प्रदर्शन शुरू करने के अलावा मांझी ने ओड़िसा सरकार को पत्र लिख कर काम को रोकने की मांग भी की है.  नवरंगपुर में कांग्रेस द्वारा चलाये जा रहे प्रदर्शन ने ओड़िसा सरकार के कान खड़े कर दिए हैं. जिसके कारण सरकार के निर्देश ओर मौके पर नवरंगपुर कलेक्टर,एस पी समेत पूरा प्रशासन आरोप के तस्दीक में जुट गया.

 

कलेक्टर ने सारे आरोपो को किया खारिज…

मौके के बारीकी से पड़ताल के बाद नवरंगपुर कलेक्टर अजित मिश्रा ने शासन को रिपोर्ट सौंप दी है. इसमें कलेक्टर ने प्रदीप मांझी के सारे आरोपों को खारिज कर दिया है. इस रिपोर्ट के बावजूद कांग्रेस लगातार प्रदर्शन कर रही है,छत्तीसगढ़ के सीमा के भीतर नियम कायदे से निर्माणधीन आमाड़ परियोजना पर बेवजह विवाद का अंदेशा के चलते 2 जुलाई को सीमा के भीतर अपने इलाके में नवरंगुपर जिला प्रशासन ने धारा 144 लागू कर उस इलाके को प्रतिबंधित कर दिया है. बता दें कि ये 144 धारा अब भी इस इलाके में लगा हुआ है.

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वंही इस आदेश का पालन कराने उस इलाके के तहसीलदार हृदयनन्द मांझी,चंदाहांड़ी थाना प्रभारी तारिणी सिंह ने मोर्चा संभाला हुआ है. प्रतिबन्धात्मक इलाके को प्रशासन ने लाल झंडे गाड़ कर चिन्हाकित किया है.आपको बता दें कि इस योजना से 1600 हेक्टेयर रकबे में सिंचाई सुविधा मिलेगी. देवभोग के तेलन्दी पार बसे 36 गांव से होकर यह नदी गुजरती तो है, लेकिन कोई सिंचाई योजना नहीं होने के कारण तहसील में सर्वाधिक सूखे का प्रभाव इसी इलाके में होता है.आमड़ परियोजना के बनने से यहां के 27 गांव के 1600 हेक्टेयर को सिचाई का लाभ मिलेगा.