भुवनेश्वर, 07/10: ओडिशा सरकार ने 2027 तक राज्य को फाइलेरिया से मुक्त करने का प्रण लिया है. फाइलेरिया रोधी दवाओं की आबंटन के मामले में ओडिशा देश में पहले स्थान पर है. राज्य के 9 जिले फाइलेरिया मुक्त घोषित किए जाने के इंतेजार में हैं, जबकि बाकी जिलों में यह प्रयास जारी हैं.

प्रदेश में सामूहिक औषधि सेबन कार्यक्रम पिछले फरवरी एवं अगस्त में दो चरणों में संचालित किया गया था. फरवरी में पहले चरण में फाइलेरिया प्रभावित 10 जिलों में 1 करोड़ 36 लाख 6 हजार 948 लोगों को दवा दी गई थी. इस में 51,371 प्रशिक्षित फार्मासिस्ट शामिल थे. रिपोर्ट के मुताबिक 89.5% प्रतिभागियों ने यह निर्धारित दवा ली. फाइलेरिया प्रभावित 10 जिलों में लिम्फैटिक फाइलेरियासिस (एलएफ) को खत्म करने के प्रयास जारी है.

राज्य के 9 जिले फाइलेरिया मुक्त

इसी तरह अगस्त में 11 जिलों में 1,81,23,082 लाभार्थियों को दवा बांटने का लक्ष्य था. उनमें से 85.5% ने लाभकारी दवाएँ ली हैं . वर्तमान में 9 जिलों अर्थात् पुरी, मलकांगरी, नबरंगपुर, कोरापुट, गजपति, केंद्रपाड़ा, बौध, जगतसिंहपुर और देवगढ़ ने TAS-3 (ट्रांसमिशन असेसमेंट सर्वे) पूरा कर लिया है . यह सारे जिले अब फाइलेरिया मुक्त जिले का दर्जा पाने के लिए तयार हैं. स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि केंद्र सरकार जल्द ही इन 9 जिलों के बारे में घोषणा करेगी.

क्यों जरुरी है फाइलेरिया रोधी दवा ?

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, फाइलेरिया ‘क्यूलेक्स’ मच्छर के काटने से होता है. क्यूलेक्स मच्छर की प्रजाति को ख़त्म करना संभव नहीं है. मच्छर एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में वायरस न फैलाएं, इसके लिए सबको फाइलेरिया रोधी दवा दी जा रही है. यह दवा सरबराह मार्ग को अवरुद्ध कर देगी. इसलिए सभी दवाएं नियमित रूप से लेना जरूरी है. माइक्रोफ़लारिया परजीवी संक्रमित व्यक्ति की रक्त कोशिकाओं में पनपते हैं. इस वायरस को मानव शरीर के अंदर परिपक्व होने में लगभग 5 से 7 साल का समय लगता है. अब जो दवा दी जाती है वह संक्रमित व्यक्ति की रक्त कोशिकाओं में मौजूद वायरस और उसके अंडों को नष्ट कर देती है. ताकि संक्रमित व्यक्ति को मच्छर काट ले तो माइक्रोफलेरिया का परजीवी अन्य लोगों तक नहीं पहुंच पायेगा.