पुरुषोत्तम पात्र,गरियाबन्द. देवभोग तहसील से लगे सीमापार से आवक नहीं मान कर अब तक मंडी प्रशासन का अन्तर्राज्यीय जांच नाकास्थापित नहीं किया गया. जबकि पिछले 50 दिनों में मंडी विभाग ने अवैध परिवहन के 68 मामलों में फूटकर व्यापारियों से 1.50 लाख से भी ज्यादा रुपए, जुर्माना वसूला. अब तक 1.60 लाख क्वींटल मक्का सीमा पार जा चुका है. जिसका 23 लाख रुपए मंडी शुल्क खजाने में गया.

महाराष्ट्र, बिहार के सीमा के तर्ज पर यंहा भी ओडिशा सीमा पर मंडी विभाग का अन्तर्राज्यीय नाका का स्थापना होना चाहिए. लेकिन 15 साल पुरानी रिकार्ड को आधार मान कर बीजेपी सरकार में इसकी स्थापना नहीं की गई थी. मंडी प्रशासन के आंकड़ों के मुताबिक पिछले 50 दिनों में 68 कोचिया जो फूटकर के श्रेणी में आते हैं, उनके खिलाफ मंडी अधिनियम उल्लंघन का मामला दर्ज कर 5 गुना मंडी शुल्क वसूली कर कूल 1 लाख 52 हजार 517 रुपए की वसूली की गई है. ओडिशा सीमा के रास्ते अब तक 1 .60 क्वींटल मक्का आंध्रप्रदेश के लिये भेजा गया जिसका विधिवत मंडी शुल्क 23 लाख 40 हजार रुपए का आय मंडी विभाग के माध्यम से सरकारी खजाने में जमा हुआ है.

कलेक्टर को अवगत कराएंगे रिपोर्ट

मंडी सचिव प्रदीप शुक्ला भी मानते है कि पहले की तुलना में ओडिशा सीमा से आवक जावक में पांच गुना मात्रा की वृद्धि हुई है. शुक्ला ने कहा कि रिपोर्ट से कलेक्टर को अवगत कराएंगे. जिले भर में 360 फूटकर कारोबारी और 100 से ज्यादा लाइंसेसि व्यापारी मौजूद है. आधा से ज्यादा फूटकर कारोबारी की संख्या ओडिशा सीमा से सटे देवभोग अमलीपदर इलाके में है. इन पर निगरानी के लिये केवल 2 उपनिरिक्षक मौजूद है. जो अपने स्तर पर सराहनीय कार्य कर मंडी शुल्क के जरिये आय अर्जित कर रहे हैं. अपने स्तर पर अवैध परिवहन रोकने सतत निगरानी विभाग कर रही है।

बिचौलिए खपाते है ओडिशा का धान

रबी सीजन में धान की पैदावारी नही होती ,बावजूद ओड़िसा से धान की बम्फर आवक हो रही है,मंडी प्रशासन द्वारा जुर्माने की गई 68 मामले में यह साबित भी हो गया है।स्टाफ की कमी के बावजूद विभाग की ये सतत कार्यवाही का परिणाम था,जानकारो का दावा है अगर विभाग का जांच नाका सीमा पर स्थापित हो जाये,व यंहा स्टाफ की संख्या बढ़ा दी जाए तो,जुर्माने से ज्यादा रुपए का इनकम बतौर टेक्स से कई गुना बढ़ जाएगा।

पैटर्न बदला कोचियो ने

धान का मूल्य ओडिशा के कालाहांडी व नवरंगपुर इलाके में 12 से 13 सौ रुपये है, लागत समेत यहां पहुंचकर 1500 रुपए पड़ जाता है.सरकार ने 2500 समर्थन मूल्य करने के बाद, इसे 2 हजार रुपयों तक खपाने कोचिये स्टॉक करना शुरू कर दिया है. देवभोग के बड़े गोदामो में भी स्टॉक होना बताया जा रहा है. लगातार कार्यवाही को देखते हुए सीमा से लगे झिरिपानी, सिनापाली, कोदोभाटा , ठीरलीगुडा जैसे आधा दर्जन गांव में कोचिये किसानों के खलिहानों को ठौर बनाया हुआ है. इन जगह पर डम्प करने से कार्यवाही का डर नहीं होता. क्योंकि इस परिस्थिति में इसे आसानी से किसान का बताया जा सकता है.