अक्सर मंदिरों और घरों में पूजन के समय भक्तों के मन में यह प्रश्न उठता है कि भगवान को चढ़ाए जाने वाले फूल या बेलपत्र अगर धूल से ढके हों तो क्या उन्हें धोना जरूरी है और यदि बिना धोए चढ़ा दिए जाएं तो क्या यह पाप माना जाएगा? धार्मिक परंपराओं के जानकारों का कहना है कि भगवान को अर्पित की जाने वाली वस्तुएं भले ही सरल हों, पर शुद्ध और निर्मल होना आवश्यक है.

शिवपुराण और पद्मपुराण के अनुसार, जो वस्तु भगवान को दी जाए वह तामसिक न होकर सात्त्विक होनी चाहिए. इसलिए यदि बेलपत्र या फूल पर धूल, कीड़े या गंदगी लगी हो तो उसे पहले शुद्ध जल से धोकर सुखा लेना चाहिए. ऐसा करने से पूजा में शुद्धता बनी रहती है और यह ईशवर भक्ति का सम्मान भी माना जाता है.

हालांकि, यदि भूलवश धूल लगे फूल या पत्ते अर्पित हो जाएं, तो शास्त्र इसे पाप नहीं मानते. धर्मगुरुओं का कहना है कि भगवान भाव के भूखे हैं, वस्तु के नहीं. मन की श्रद्धा शुद्ध हो तो भगवान उस पूजन को स्वीकार करते हैं. ऐसी स्थिति में भक्त को बस मन ही मन क्षमा याचना करनी चाहिए और अगली बार गंगाजल से पूजन स्थल को शुद्ध कर लेना चाहिए. सप्ताह में एक दिन मंदिर की विशेष सफाई भी करनी चाहिए ताकि श्रद्धा के साथ स्वच्छता का संतुलन बना रहे.