बिलासपुर- मौका तो था जश्न का लेकिन पद्मश्री से सम्मानित कलाकार के सम्मान को तार-तार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई. दरअसल मामला बिलासपुर में आयोजित बोनस तिहार कार्यक्रम का, जहां किसानों के मनोरंजन के लिए छत्तीसगढ़ी लोकगीतों का मंच सजाया गया था और प्रदेश के लोकप्रिय और पद्मश्री सम्मान से नवाजे जा चुके अनुज शर्मा को किसानों को अपने सुमधुर गीतों से बांधें रखने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.
अनुज शर्मा कार्यक्रम शुरू कर पाते, इससे पहले व्यवस्था की जिम्मेदारी संभाल रहे अधिकारी-कर्मचारियों ने कार्यक्रम में पानी फेर दिया. हुआ यूं कि जिस मंच पर अनुज शर्मा का कार्यक्रम होना था, वहां दो बजे तक अधिकारी माइक की टेस्टिंग करते रहे. हजारों की तादात में पहुंचे किसान भी अनुज को सुनना चाहते थे, लेकिन अधिकारियों के मिस मैनेजमेंट के चक्कर में कार्यक्रम फेल होता चला गया.
अनुज शर्मा ने इसका जमकर विरोध भी किया. बताया जाता है कि अनुज की नाराजगी देखने के बाद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक ने भी अधिकारियों के रवैये पर गहरी नाराजगी जताई, जिसके बाद अनुज का कार्यक्रम शुरू हो सका. लेकिन जब तक अनुज शर्मा परफार्म करते अतिथियों के आने का सिलसिला शुरू हो गया, लिहाजा वह दो-तीन गीतों की ही प्रस्तुति दे सके.  अनुज शर्मा ने लल्लूराम डाॅट काॅम से बातचीत में पूरे वाक्ये की पुष्टि करते हुए कहा है कि यह कलाकारों की कला का अपमान हैं, जिसका मैंने विरोध किया. कोई भी कलाकार जब किसी मंच पर पहुंचता है, तो उसकी कला को सम्मान मिलना चाहिए.
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