पुरुषोत्तम पात्र,गरियाबंद. जिले के देवभोग के लाटापारा खरीदी केंद्र से कुंडेल संग्रहन केंद्र के लिए 700 पैकेट धान भर कर निकली ट्रक, महूलकोट के पास 14 पैकेट उतार दिया. बैठक में जा रहे सुपरवाइजर की नजर पड़ी तब अब पुलिस कार्यवाही की तैयारी कर रही है.
दरअसल मंगलवार को करीबन 11 बजे ट्रक क्रमांक सीजी 06 एम 1288 लाटापारा खरीदी केंद्र से 700 पैकेड धान भर कर निकली थी. करीबन 1:30 बजे नेशनल हाइवे में मौजूद माहूलकोट चौक के आगे 14 पैकेट धान को ट्रक चालक द्वारा उतार लिया गया था. जिला सहकारी बैंक के सुपरवाइजर विनोद बिहारी वैष्णव ने डीएमओ बसन्त बघेल को इसकी जानकारी भी दिया है. वैष्णव ने बताया कि वे जिला के बैठक के लिये निकले थे. महूलकोट चौक के आधा किमी दूरी पर सड़क किनारे धान के कुछ बोरे पड़े हुए दिखे. एक बाइक के सहारे बोरे को गाव अंदर ले जाते भी देखा गया. तब तक कुछ समझ नहीं आया, लेकिन धान के ढेर उतरे स्थल के आधा किमी आगे जब धान भरे ट्रक पर नजर पड़ी तो उन्हें गड़बड़ी की आशंका हो गई. वाहन को वही रूकवा कर बोरे को ढेर को दोबारा देखने लौटे तो सड़क किनारे पड़ा धान सरकारी बोरे में भरा हुआ था.
वैष्णव ने कहा की यह चोरी की नीयत से बोरे को उतारा गया था. 14 बोरों को एकत्र करवा कर फिर से वाहन में लोड करके भेजा गया. जिसकी जानकारी उच्च अधिकारियों को दिया गया है. डीएमओ बघेल ने भी कहा कि अधिकृत ट्रांसपोर्टर को सूचना दिया गया है. वहां से पता चला है कि ये पेटी कॉन्ट्रेक्ट वाली वाहन थी. बुधवार को मामला पुलिस को सौपा जाएगा.
संग्रहन केंद्र से देवभोग तहसील के केंद्रों की दूरी 130 किमी से 150 किमी की होती है. इसी लंबी दूरी का फायदा परिवहन से जुड़े लोग उठाते हैं. हर साल देवभोग के 4 केंद्रों को 60 से 70 लाख रुपये का भुगतान धान में आये सार्टेज के लिये करना पड़ता है. धान खरीदी के एवज में मिलने वाले कमीशन की राशि इसी कमी पर भरपाई की जाती है. खरीदी केंद्रों से निकलने के बाद आखिरकार इतनी मात्रा को कमी कैसे आती है यह पहेली अब तक नहीं सुलझा है. निस्टिगुड़ा सहकारी समिति के उपाध्यक्ष खगेस्वर नागेश ने बताया कि स्थानीय स्तर पर की गई धर्मकांटे के तौल पर्ची को मान्यता नहीं दी जाती है. कई बार तो यहां से लोड हुई वाहन में भरे धान की मात्रा संग्रहन केंद्र पहूँचने के बाद 3 से 5 कविंटल की सूखत दिखाती है. आखिर 8 घण्टे के परिवहन में मात्रा इतना घट कैसे जाता है समझ से परे है.
बता दें कि 2013 में उरमाल अमलीपडर खरीदी केंद्र से 5 ट्रक धान वाहन सहित गायब हो गया. प्रकरण में अब तक चोरों का सुराग नहीं लगा. इसमे बाद से परिवहन के लिये तगड़े नियम बनाया गया. बावजूद इसमे सेंध मारी सिस्टम पर सवाल खड़ा कर दिया है. बोरो की संख्या निर्धारित होती है. संग्रहन केंद्र में अनलोड भी खरीदी केंद्र से लोड आंकड़े के आधार पर होती है. ऐसे में 14 बोरे गायब करने की कोशिश में मिलीभगत की ओर संकेत करता है. सूत्रों का दावा है कि अब तक परिवहन हुए बोरो की संख्या का मिलान संग्रहन केंद्र में करे तो चौकाने वाले परिणाम सामने आ सकते हैं.