कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के पुत्र व कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खरगे ने खुलकर आरएसएस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. उन्होंने सीएम सिद्धारमैया को पत्र लिखकर अनुरोध किया कि राज्य के सभी सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को किसी भी संगठन का हिस्सा बनने और उनके कार्यक्रम में शामिल होने की अनुमति नहीं दी जाए. उन्होंने इसका उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की है. मंत्री प्रियांग खरगे ने बताया कि उनके विभाग के कई अधिकारी आरएसएस के शताब्दी समारोह में शामिल होने गए थे. उन अधिकारियों के खिलाफ खरगे ने कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है और उन्हें 1 या 2 दिन में निलंबित भी कर दिया जाएगा.

उन्होंने कहा कि 2013 में जब जगदीश शेट्टर मुख्यमंत्री थे, तब भी उन्होंने सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में सिर्फ पाठ्यक्रम से जुड़ी गतिविधियों को अनुमति देने की बात कही थी. बता दें कि, खरगे ने पिछले दिनों आरएसएस को तालिबान जैसा आतंकी संगठन करार देते हुए विवादित बयान दे दिया था.

सिविल सेवा के नियम का दिया हवाला

मंत्री ने कर्नाटक सिविल सर्विस रूल्स, 2021 का हवाला देते हुए कहा कि यह मेरा नियम नहीं है. यह कर्नाटक सिविल सेवा का नियम है. उन्होंने कहा कि इस नियम के अनुसार, सरकारी अधिकारी किसी ऐसे कार्यक्रम में भाग नहीं ले सकते या किसी ऐसे संगठन से नहीं जुड़ सकते, जिनका राजनीति के प्रति झुकाव हो.

सरकारी कर्मचारी को नियमों के तहत करना होगा काम

उन्होंने बताया कि मेरी जानकारी में आया है कि बहुत से पीडीओ, ग्राम लेखाकार और अन्य राज्य अधिकारी आरएसएस के कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं और सरकार के खिलाफ बोल रहे हैं. इसको रोकने के लिए सिविल सेवा नियम को लागू करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि यह नियम सिविल सेवकों को कंट्रोल करने वाला एक ढांचा है. खरगे ने कहा कि मैं बस इतना चाहता हूं कि इन नियमों का सतर्कता से पालन किया जाए. उन्होंने कहा कि अगर आप राज्य सरकार के कर्मचारी हो तो आपको कुछ नियमों का पालन करना ही होगा.

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