Lalluram Desk. देश की प्रमुख इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर निर्माता कंपनियों में शामिल ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी इस वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में गहरे घाटे में चली गई है. जनवरी से मार्च 2025 के दौरान कंपनी को कुल ₹870 करोड़ का शुद्ध नुकसान हुआ है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में हुए ₹416 करोड़ के नुकसान से दोगुना है.

जहां कंपनी का घाटा बढ़ा है, वहीं राजस्व (Revenue) में भी जबरदस्त गिरावट दर्ज हुई है. तिमाही के दौरान रेवेन्यू घटकर ₹611 करोड़ रह गया, जबकि पिछले साल की समान तिमाही में यह आंकड़ा ₹1,598 करोड़ था. यह दर्शाता है कि कंपनी की कमाई में 62% की गिरावट आई है.

बाजार में तीसरे नंबर पर फिसली

ई-स्कूटर बाजार में ओला की स्थिति भी कमजोर होती नजर आ रही है. मई 2025 में कंपनी की बाजार हिस्सेदारी घटकर 20% पर आ गई है, जिससे वह TVS और बजाज के बाद तीसरे स्थान पर खिसक गई है.

इस मई में ओला ने सिर्फ 15,221 वाहनों का रजिस्ट्रेशन कराया, जबकि पिछले साल यही आंकड़ा 37,388 था – यानी 60% की भारी गिरावट. TVS मोटर फिलहाल 25% हिस्सेदारी के साथ शीर्ष पर है. बजाज ऑटो 22.6 प्रतिश बाजार शेयर के साथ दूसरे नंबर पर है. वहीं एथर एनर्जी, जो पहले ओला के मुकाबले मजबूती से खड़ी थी उसका शेयर अप्रैल के 14.9% से गिरकर मई में 13.1% पर आ गया.

निवेशकों की चिंताएं गहरी

ओला इलेक्ट्रिक का स्टॉक प्रदर्शन भी कंपनी की मुश्किलों को बयां कर रहा है. इस साल अब तक कंपनी के शेयर में करीब 38% की गिरावट आई है. गुरुवार को शेयर हल्की बढ़त के साथ ₹53.20 पर बंद हुआ, लेकिन बीते एक साल में इसमें 41% से ज्यादा गिरावट दर्ज हो चुकी है. कंपनी का मौजूदा मार्केट कैपिटल ₹22,200 करोड़ पर सिमटा हुआ है, जो पहले की तुलना में स्पष्ट रूप से नीचे आया है.

कॉन्सोलिडेटेड घाटा क्यों मायने रखता है?

ओला ने यह परिणाम कॉन्सोलिडेटेड बेसिस पर जारी किया है, जिसमें कंपनी के सभी यूनिट्स और सहायक कंपनियों का वित्तीय प्रदर्शन शामिल होता है. इसके विपरीत, स्टैंडअलोन रिपोर्ट में केवल मुख्य कंपनी की स्थिति दिखाई जाती है. इस लिहाज से देखा जाए तो ₹870 करोड़ का घाटा, ओला समूह की समग्र आर्थिक स्थिति को लेकर चिंता पैदा करता है.