लक्ष्मीकांत बंसोड़, बालोद। किसी ने सच ही कहा है परिस्थितियां कितनी भी बड़ी हो बस हिम्मत नहीं हारना चाहिए. ऐसा ही जज्बा बालोद जिले के अण्डी गांव के बुजुर्ग दंपती ने दिखाया. आवास और ट्रायसाइकिल की मांग को लेकर विकलांग दंपती कलेक्टर से मिलने पहुंचा. कलेक्टर से मुलाकात तो नहीं हो पाई, लेकिन उनकी बात कलेक्टर तक पहुंची तो उन्होंने अपनी ओर से हर संभव मदद करने का भरोसा दिया.

बुजुर्ग दंपती कच्चे आशियाने में अपनी जिंदगी का गुजारा करता है. पत्नी पार्वती बाई पटेल का कान सुनाई नहीं देता तो पति नंदलाल पटेल का एक पैर नहीं है. बुजुर्ग को समाज कल्याण विभाग की ओर से इलेक्ट्रिक ट्राइसाइकिल दिया गया था, लेकिन वह भी दो माह में खराब हो गया, इसके बाद से लकड़ी का बैसाखी इसका सहारा बनी हुई है.

बच्चे दोनों बुजुर्गों को घर मे छोड़कर चले गए हैं. गरीबी रेखा वाला राशनकार्ड बना है, जिससे जो राशन मिलता है, उसे खा कर व 3 माह में एक बार पेंशन के रूप में मिलने वाली रकम से दोनों का गुजारा करते हैं. उन्हें पढ़ना लिखना नहीं आता और किसी ने आवेदन की प्रक्रिया अब तक नहीं बताई इसीलिए योजना का लाभ नहीं मिला. कई बार गांव के सरपंच सहित अन्य लोगों से इस संबंध में मुलाकात की, लेकिन बात बनते नहीं देख दोनों कलेक्टर से मिलने निकल पड़े.

आवास व ट्रायसाइकिल की मांग को लेकर बुजुर्ग दंपती अपने गांव से ब्लॉक मुख्यालय डौंडी लोहारा तक पैदल फिर बस के सहारे कलेक्टर के पास गुहार लगाने पहुंचा. लेकिन कलेक्टर साहब भी दफ्तर में नहीं थे. किसी ने बताया कलेक्टर साहब दौरे पर हैं सोमवार को आइए. किसी ने उनकी पीड़ा नहीं समझी. और फिर वह निराश होकर वापस 2 किलोमीटर तक पैदल बस स्टैंड पहुंचे.

कलेक्टर जनमेजय मोहबे ने संवेदनशीलता दिखाते हुए कहा कि आप लोगों से जानकारी प्राप्त हुई है. प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत उनको जो भी संभव लाभ होगा उनको दिया जाएगा. इनको ट्रायसाइकिल की दिक्कत है उसे भी दूर किया जाएगा. अगर ये पेंशन के पात्रता में आते है तो वो भी इन्हें दिया जाएगा. जहां तक पीएम आवास योजना की बात है, उसमे सर्वे सूची बनी हुई उसमें इनका नाम कैसे छूटा है वो भी हम दिखावा लेंगे. यथाशीघ्र ही इनका काम किया जाएगा.