भोपाल. मध्यप्रदेश भाजपा प्रभारी के लिए राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओमप्रकाश माथुर का नाम सुर्खियों में है. पार्टी हाईकमान ने माथुर को कमान देने का मन बना लिया है. इस संबंध में राज्य के नेता और संघ परिवार के वरिष्ठ पदाधिकारियों से भी रायशुमारी हो चुकी है. जल्द ही माथुर के नाम की घोषणा की जा सकती है. इसके साथ ही भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की टीम में रिक्त पदों पर भी नियुक्तियां कर दी जाएंगी.

माथुर मध्यप्रदेश के लिए नया नाम नहीं है. वह 2003 में भी राज्य के प्रभारी रह चुके हैं. प्रदेश से उनका नाता जोड़ने वाले नेताओं में स्व. कुशाभाऊ ठाकरे का नाम प्रमुख है. राजस्थान से ताल्लुक रखने वाले माथुर उन खांटी नेताओं में हैं जो नरेंद्र मोदी के साथ संघ के प्रचारक का दायित्व भी निभा रहे हैं. प्रचारक काल से मोदी और माथुर की जोड़ी गुजरात में भी लंबे समय तक साथ रही. जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब 12 साल तक माथुर ने वहां प्रभारी की भूमिका निभाई. इसके बाद वह महाराष्ट्र के भी प्रभारी रहे.हाल ही में उनके पास उत्तरप्रदेश जैसे बड़े राज्य का प्रभार है. यह दायित्व उन्हें चुनाव के पहले सौंपा गया था और पार्टी को भारी बहुमत हासिल करने के पीछे माथुर की रणनीति अहम मानी गई.

एक समय चुनावी मैनेजमेंट के लिए मशहूर प्रशांत कुमार यानी पीके ने भी माथुर के साथ काम किया है. बहुत सारे चुनावी नुस्खे पीके से पार्टी का रिश्ता टूटने के बाद भी बदस्तूर इसलिए जारी रहे क्योंकि कई दांव-पेंच माथुर के सुझाए हुए भी चलते थे. अब मध्यप्रदेश में चुनाव हैं और संगठन आपसी कलह और मतभेदों के कारण कमजोर तो हो ही गया है, मंडल और पंचायत स्तर तक काफी हद तक सुस्त भी है.

मप्र के संगठन महामंत्री और प्रदेश अध्यक्ष के झगड़े भी जगजाहिर हैं. लगता है ऐसे में नेतृत्व संकटमोचक के रूप में माथुर को मध्यप्रदेश भेजने का मन बना चुका है. कटुता का आलम यह है कि संगठन और सरकार के नेता दिल्ली में एक-दूसरे की जड़ों में मट्ठा डालने का काम कर रहे हैं. इस किस्म के हालात से मोदी और शाह वाकिफ हैं.संभवतः ऐसे हालात माथुर को मध्यप्रदेश भेजने की वजह बनते दिख रहे हैं.

उल्लेखनीय है कि प्रभारी का दायित्व निभा रहे विनय सहस्रबुद्धे इंडियन कौंसिल फॉर कल्चरल रिलेशन (आईसीसीआर) के अध्यक्ष बनाए गए हैं. उनके प्रभारी पद से हटाए जाने के औपचारिक आदेश अभी निकलना शेष हैं.