हरिश्चंद्र शर्मा, ओंकारेश्वर। तीर्थनगरी ओंकारेश्वर में रविवार का दिन एक बार फिर नर्मदा नदी में हुए हादसों के नाम रहा। अलग-अलग घाटों पर डूबने की दो घटनाओं ने तीर्थ नगरी की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। एक ही दिन में एक युवक की दर्दनाक मौत और एक के लापता हो जाने से श्रद्धालुओं और स्थानीय जनों में आक्रोश का कारण बन गया है।

पहली घटना: अस्थि विसर्जन के दौरान डूबने लगे 3 लोग

नर्मदा–कावेरी नदी संगमघाट पर अस्थियां विसर्जन के दौरान हादसा हो गया। महाराष्ट्र के मालेगांव नासिक जिले से आए 32 वर्षीय कृष्णा पवार अपने परिवार के दो अन्य युवकों के साथ नर्मदा-कावेरी संगम घाट पर अस्थियां विसर्जन के लिए पहुंचे थे। जैसे ही वे नदी में उतरे, तीनों डूबने लगे। स्थानीय नाविकों और घाट पर मौजूद लोगों ने तुरंत समझदारी दिखाते हुए दो युवकों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया। लेकिन कृष्णा पवार गहरे पानी में समा गए। गोताखोर उनकी तलाश में जुट गए हैं।

दूसरी घटना: ब्रह्मपुरी घाट पर स्नान के दौरान युवक की मौत

ओंकारेश्वर बांध के सामने ब्रह्मपुरीघाट पर 25 वर्षीय अनिल मीणा, जो जयपुर की एक फाइनेंस कंपनी में कार्यरत थे, स्नान करते समय गहरे पानी में चले गए और डूब गए। स्थानीय नाविकों ने उन्हें बाहर निकाला और तत्काल अस्पताल पहुंचाया, लेकिन डॉक्टर रवि वर्मा ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

श्रद्धालुओं और स्थानीयों का फूटा गुस्सा

इन दोनों घटनाओं के बाद घाटों की सुरक्षा व्यवस्थाओं को लेकर लोग बेहद आक्रोशित नजर आए। श्रद्धालु और स्थानीय लोग कह रहे हैं कि ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर देश के सबसे बड़े तीर्थस्थलों में से एक है। यहां लाखों लोग नर्मदा स्नान करने आते हैं। लेकिन घाटों पर सुरक्षा की कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं है। न लाइफगार्ड हैं, न चेतावनी बोर्ड, न ही बैरिकेडिंग। यह लापरवाही और भी कई जिंदगियां लील सकती है।”

प्रयागराज से आई श्रद्धालु ने व्यवस्था पर उठाए सवाल

प्रयागराज से आई श्रद्धालु कविता मिश्रा ने कहा, “हम यहां पुण्य की भावना से आते हैं, लेकिन बार-बार ऐसी घटनाएं सुनकर मन व्यथित हो जाता है। प्रशासन को सुरक्षा के ठोस उपाय करने चाहिए, विशेषकर ऐसे घाटों पर जहां पानी की गहराई ज्यादा है।”

ओडिशा की श्रद्धालु ने घाट पर लाइफ जैकेट रखने की मांग की

ओडिशा से आई वैजयंती नायडू ने कहा, “हमारी यात्रा का उद्देश्य आध्यात्मिक होता है, न कि किसी भय का अनुभव करना। घाटों पर लाइफ जैकेट, चेतावनी संकेत और निगरानी दल जरूरी हैं। ये हादसे रुकने चाहिए।”

संत ने कही ये बात

स्थानीय संत ने नर्मदा नदी में श्रद्धालुओं के डूबने पर कहा कि महाराष्ट्र के तीनों ही युवक अपने परिवार के साथ नर्मदा कावेरी संगम घाट पर परिवार के लोग मृत आत्मा की अस्थियां विसर्जन करने संगम घाट पर पहुंचे थे। विसर्जन के दौरान तीनों युवक डूबने लगे। कृष्ण ने अपने दोनों दोस्तों को तो बचा लिया लेकिन खुद डूब गया।

रेस्क्यू बोट टीम रखने की मांग

स्थानीय फोटोग्राफर ने कहा, “हमने समय पर दो युवकों की जान बचाई, लेकिन तीसरे को नहीं बचा सके। प्रशासन को यहां गोताखोरों की स्थायी तैनाती करनी चाहिए और एक रेस्क्यू बोट टीम हर समय घाटों पर रहनी चाहिए। वरना यह सिलसिला यूं ही चलता रहेगा।”

कैसे रुकेंगी घटनाएं?

ओंकारेश्वर जैसे तीर्थस्थल पर बार-बार हो रही डूबने की घटनाएं न सिर्फ श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता पैदा कर रही हैं। बल्कि प्रशासनिक उदासीनता को भी उजागर कर रही हैं। स्थानीय लोगों की मांग है कि तत्काल घाटों पर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई जाए और स्थायी गोताखोर दल तैनात किए जाएं, ताकि भविष्य में ऐसे हादसे रोके जा सकें।

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