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दिल्ली में आम आदमी पार्टी की पराजय के बाद शिवसेना का मुखपत्र ‘सामना’ ने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला है. इसके संपादकीय में लिखा है कि कांग्रेस ने हमेशा की तरह दिल्ली में कद्दू भी नहीं फोड़ पाई, 27 साल बाद भाजपा को दिल्ली में जीत मिली है. संपादकीय में AAP की हार का कांग्रेस को दोषी ठहराया है, क्योंकि केजरीवाल सहित पूरी आप की कैबिनेट चुनाव में केवल मुख्यमंत्री आतिशी और गोपाल राय ने जीत हासिल की है.
संपादकीय में कांग्रेस से पूछा गया कि क्या पार्टी में कोई छिपी हुई शक्तियां हैं जो राहुल गांधी की प्रतिष्ठा को हर समय नुकसान पहुंचाना चाहती हैं? अगर कांग्रेसी नेता कहते हैं कि AAP को जीतना कांग्रेस की जिम्मेदारी नहीं है, तो क्या मोदी-शाह की तानाशाही को जिताने की जिम्मेदारी आपस में लड़ने वालों की है?
दिल्ली में AAP और कांग्रेस ने एक दूसरे को खत्म करने के लिए संघर्ष किया, जो मोदी-शाह के लिए जगह बनाया. लोकतंत्र पर इसके प्रभाव पड़ेंगे.
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अब्दुल्ला के बयान को बताया सही
‘सामना’ ने लिखा कि उमर अब्दुल्ला का गुस्सा व्यावहारिक है. वह सही कहते हैं कि एक-दूसरे को जी भर के लड़ो और मार डालो. कांग्रेस को AAP की हार का कारण बताते हुए कहा गया है कि कांग्रेस ने दिल्ली में 14 सीटों पर AAP को हराया है. हरियाणा भी ऐसा ही हुआ था. सामना में पूछा गया कि AAP से टकराव के बाद कांग्रेस को क्या मिल गया?
सामना ने लिखा है कि केजरीवाल और उनकी टीम ने अन्ना हजारे को महात्मा अन्ना बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. सामना ने लिखा है कि केजरीवाल-सिसोदिया ने दिल्ली में अन्ना को दिखाया था, जो बाद में केजरीवाल ने दिल्ली पर राजनीतिक कब्जा कर लिया.
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केजरीवाल ने दिल्ली में कम से कम दस साल तक प्रधानमंत्री मोदी से लड़ाई की और शाह-मोदी की राजनीति को हराया. अब मोदी-शाह ने कई बाधाओं का सामना कर जीत हासिल की, जिससे अन्ना हजारे खुश हैं. Anna कहते हैं कि मैंने उनसे बार-बार कहा, लेकिन उन्होंने नहीं सुना; उनका जीवन बेदाग था; मतदाताओं को विश्वास नहीं था कि वह हमारे लिए कुछ करेगा; और उनके विचार और चरित्र शुद्ध नहीं थे.
मोदी की अंतिम अवधि धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार पर टिकी हुई है, और हजारों लोग सिर्फ केजरीवाल के नाम पर टोपी पर हाथ फिरा रहे हैं. मोदी-शाह ने महाराष्ट्र और देश भर के सभी दस नंबरी भ्रष्टाचारियों को एक साथ लाकर अपना शासन चलाया है.
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