कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। सम्राट मिहिर भोज प्रतिमा विवाद मामले में ग्वालियर हाईकोर्ट में अहम सुनवाई हुई है। हाईकोर्ट की डबल बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि संभाग आयुक्त दोनों समाज के प्रतिनिधियों को एक साथ बैठाकर आपसी सहमति से समाधान निकालें। वरना न्यायालय अपना फैसला सुनाएगा। न्यायालय के निर्देश पर जुलाई के पहले हफ्ते में मामले की अगली सुनवाई होगी।
सम्राट मिहिर भोज प्रतिमा को लेकर ग्वालियर में दो साल से विवाद चल रहा है। क्षत्रिय समाज और गुर्जर समाज के बीच चल रहे विवाद की वजह से 2 साल से सम्राट मिहिर भोज प्रतिमा टीन शेड में कैद है। बीते 25 सितंबर को इसी मुद्दे पर गुर्जर समाज ने ग्वालियर-चंबल संभाग में जमकर बबाल मचाया था।
दरअसल बीती सुनवाई के दौरान न्यायालय ने खास टिप्पणी करते हुए कहा था कि राजा की कोई जाति नहीं होती है। दोनों समाज को मिलकर इस मामले के विवाद के समाधान के लिए आगे आना चाहिए। आपको बता दें कि सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा चिरवाई नाके पर स्थापित की गई थी। प्रतिमा के नीचे पहले गुर्जर सम्राट मिहिर भोज की पट्टिका लगी थी। इस पर क्षत्रिय समाज को आपत्ति थी।
क्षत्रिय समाज का कहना है कि सम्राट मिहिर भोज क्षत्रिय थे। जबकि गुर्जर यह मानने के लिए तैयार नहीं है। उनका कहना है देश के कई हिस्सों में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा लगी है, जिस पर गुर्जर शब्द पहले से लिखा है। ऐसे में ग्वालियर के चिरवाई नाके पर लगाई गई प्रतिमा के नीचे गुर्जर सम्राट मिहिर भोज का लिखा जाना कोई नई बात नहीं है। तभी से क्षत्रिय समाज और गुर्जर समाज के बीच तनाव उत्पन्न हो गया था।
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इस बीच हाईकोर्ट ने एक आदेश जारी कर प्रतिमा के नीचे लिखे गुर्जर सम्राट मिहिर भोज की पट्टिका को ढकवा दिया था। वह अभी भी पुलिस के पहरे में है। दो समाजों के बीच उपजे तनाव को देखते हुए एक जनहित याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई है, जिस पर सुनवाई जारी है।
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