तनवीर खान, मैहर। मध्य प्रदेश में मैहर में अनाज के खाली बोरों की नीलामी से आए पैसों से स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सरकारी स्कूलों में विशेष भोज का प्रबंध किया गया है। सतना जिला पंचायत सीईओ ने पत्र जारी कर पीएम पोषण शक्ति निर्माण के अंतर्गत शासकीय प्राथमिक स्कूलों में संचालित मध्यान्ह भोजन योजना (एमडीएम) के तहत बच्चों को विशेष भोज पर आमंत्रित करने का फरमान तो जारी कर दिया, लेकिन इसके लिए पृथक से राशि का आवंटन नहीं किया गया है।
15 अगस्त को लखनाय सतना-मैहर जिले के 3562 सरकारी प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूलों के 1 लाख 86 हजार बच्चों को विशेष भोज कराया जाना है। एमडीएम से जुड़े स्व सहायता समूहों को दिए गए मेनू के अनुसार सब्जी-पूड़ी, खीर और हलवा के साथ मोतीचूर के लड्डू भी परोसे जाने हैं। इस संबंध में जिला पंचायत की सीईओ संजना जैन ने धन प्रबंधन के लिए बारदानों की नीलामी से प्राप्त राशि का उपयोग किए जाने के पत्र जारी कर निर्देश दिए हैं।
अफसर ने भी उठाए लुत्फ
प्राथमिक एवं माध्यमिक स्तर के सरकारी स्कूलों में 15 अगस्त को आयोजित होने वाले इस विशेष भोज में जहां जनप्रतिनिधियों और अंत्योदय कार्डधारियों को भी न्यौता गया है, वहीं प्रत्येक ब्लॉक के कम से कम एक अफसर को भी अनिवार्य रुप से शामिल होने की हिदायत दी गई है। जन शिक्षा प्रभारियों को मॉनीटरिंग का जिम्मा सौंपा गया है।
मैहर जिले की प्रभारी मंत्री राधा सिंह ने कन्या विद्यालय पहुंचकर मैहर विधायक श्रीकांत चतुर्वेदी, मैहर जिले की कलेक्टर रानी बाटड़, जिले के एसपी सुधीर अग्रवाल के साथ स्कूली छात्राओं के बीच बैठकर मध्यान भोजन का लुत्फ उठाया। साथ ही मध्यान भोजन के खाने की तारीफ अच्छी भी की। लल्लूराम डॉट कॉम की टीम ने जिला पंचायत सीईओ के द्वारा जारी पत्र के बारे में जब मैहर जिले की प्रभारी मंत्री राधा सिंह से सवाल पूछा, तो उन्होंने बचते हुए जवाब दिया कि ऐसा नहीं है की बोरियां बेचकर बच्चों को भोजन कराया जाता है। हम स्कूलों और छात्रावास में जाकर निरीक्षण करते हैं और देखते हैं वहां अच्छे से अच्छा भोजन बच्चों को उपलब्ध कराया जाए।
वही जिला पंचायत सीईओ द्वारा जारी पत्र में साफ शब्दों में वरदानों की बोरियां बेचकर आने वाले खर्च का वाहन करने का जिक्र किया गया है। मामले में मैहर जिले के कांग्रेस जिला अध्यक्ष धर्मेश घई ने घटना की निंदा की है। इसमें साथ ही प्रदेश सरकार पर सवाल खड़े कर कहा प्रदेश सरकार के पास पैसे नहीं बचे हैं, जो राष्ट्रीय पर्व में भी बच्चों को अच्छा भोजन उपलब्ध कराने के लिए वरदानी की बोरियां बेचना पड़ रहा है। जबकि राजनीतिक कार्यक्रमों में लाखों और करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं।
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