
राज्यसभा में मंगलवार को नई शिक्षा नीति और मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के बयान को लेकर तीव्र हंगामा हुआ. विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने मंत्री के वक्तव्य की आलोचना की और जब उपसभापति ने उन्हें बोलने से रोका, तो खड़गे ने तानाशाही का आरोप लगाया. इसके बाद जब चेयर ने उन्हें पुनः रोका, तो खड़गे ने कहा कि हम सरकार को उचित तरीके से जवाब देंगे.
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राज्यसभा में नेता सदन जेपी नड्डा ने खड़गे के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि विपक्ष के नेता द्वारा आसन के लिए इस प्रकार की भाषा अस्वीकार्य है और उन्हें इसके लिए माफी मांगनी चाहिए. उन्होंने उपसभापति हरिवंश से अनुरोध किया कि ऐसे शब्दों को सदन की कार्यवाही से हटाया जाए. नड्डा ने कहा कि यह भाषा अत्यंत निंदनीय है और इसके लिए माफी की कोई आवश्यकता नहीं है. नड्डा के इस बयान के समर्थन में सत्तापक्ष के सांसदों ने नारेबाजी शुरू कर दी.
खड़गे ने सदन में खड़े होकर स्पष्ट किया कि उन्होंने आसन के लिए अपमानजनक शब्दों का प्रयोग नहीं किया. उन्होंने उपसभापति से कहा कि यदि उनकी बातों से किसी को ठेस पहुंची है, तो वे इसके लिए खेद प्रकट करते हैं. हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि “ठोको” शब्द का उपयोग उन्होंने सरकार की नीतियों के संदर्भ में किया था. खड़गे ने कहा कि वे व्यक्तिगत रूप से माफी के लिए तैयार हैं, लेकिन सरकार से माफी नहीं मांगेंगे.
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राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के अध्यक्ष जे पी नड्डा के खिलाफ प्रतिक्रिया व्यक्त की. उन्होंने यह टिप्पणी की कि जो नेता विपक्षी दलों को प्रशिक्षण देने की सलाह दे रहे हैं, उन्हें स्वयं सदन की आवश्यकता है, क्योंकि उनके सदस्य और मंत्री समय पर सदन में उपस्थित नहीं होते हैं.
राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही उपसभापति हरिवंश ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर प्रस्तुत किए. इसी दौरान, उन्होंने राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमशीलता और प्रबंधन संस्थान की परिषद के लिए निर्वाचन का प्रस्ताव पेश करने हेतु केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू का नाम लिया, किंतु वह सदन में उपस्थित नहीं थे.
विपक्ष के सदस्यों ने इस मुद्दे पर विरोध प्रकट किया और मंत्री की गैरमौजूदगी को शर्मनाक बताया. मल्लिकार्जुन खरगे ने उल्लेख किया कि नेता सदन जे पी नड्डा ने सोमवार को सुझाव दिया था कि नेता प्रतिपक्ष और विपक्ष के सदस्यों को सदन के नियमों के संबंध में प्रशिक्षण प्रदान किया जाना चाहिए.
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उन्होंने कहा कि मैं आपसे पूछता हूं, आप प्रशिक्षण क्यों नहीं लेते? आपके लोग समय पर नहीं पहुंचते, यहां तक कि मंत्री भी नहीं आते, यह वास्तव में शर्मनाक है. सोमवार को विपक्षी दलों ने मतदाता सूची में कथित हेराफेरी और लोकसभा सीटों के परिसीमन के मुद्दे पर राज्यसभा में हंगामा किया. आसन द्वारा इन मुद्दों पर कार्यस्थगन नियम के तहत चर्चा कराने की मांग को अस्वीकार किए जाने के बाद, उन्होंने उच्च सदन से बहिर्गमन किया.
जेपी नड्डा ने विपक्षी सदस्यों के आचरण की आलोचना की और आसन से अनुरोध किया कि नेता प्रतिपक्ष समेत सभी सदस्यों को रिफ्रेशर कोर्स कराया जाए. उन्होंने यह भी कहा कि हम चर्चा के लिए तत्पर हैं, जिसमें अल्पकालिक और दीर्घकालिक चर्चाओं दोनों का प्रावधान है. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि विपक्ष के सदस्य नियमों का अध्ययन नहीं करते हैं.
उन्होंने विपक्षी सांसदों को सलाह दी कि वे पहले नियमों का अध्ययन करें और बहस की कला में निपुणता हासिल करें. उन्होंने यह भी कहा कि यह विपक्ष का असंवेदनशील व्यवहार है, जो संसद और लोकतंत्र की छवि को धूमिल करने का प्रयास है. नेता सदन ने यह स्पष्ट किया कि विपक्षी सांसदों को नियमों की पुनरावृत्ति की आवश्यकता है और उन्हें सदन के नियमों को समझना चाहिए. सरकार किसी भी विषय पर चर्चा के लिए तत्पर है.
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