सुशील खरे,रतलाम। शहर के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती मरीजों की जान पर आफत उस वक्त आई, जब अस्पताल की लिक्विड ऑक्सीजन खत्म हो गई. इमरजेंसी स्टॉक में रखे सिलेडरों से काम चलाना शुरू किया गया. प्राण वायु को लेकर अस्पताल में अफरा-तफरी का माहौल निॢर्मित हो गया. आनन-फानन में अधिकारियों ने मोर्चा संभाला और भरे सिलेंडरों को अस्पताल भेजा गया. इसके बाद अस्पताल प्रबंधन सहित मरीजों ने राहत की सांस ली.

इमरजेंसी स्टॉक में रखें सिलेंडर से चलाया काम
जानकारी के अनुसार अस्पताल को कोविड वार्ड में 300 मरीज भर्ती है. अस्पताल की लिक्विड ऑक्सीजन दोपहर में खत्म हो गई. इसके पश्चात इमरजेंसी स्टॉक में रखें 450 सिलेंडर से काम चलाना शुरू किया गया. 7 बजते बजते अफरा-तफरी का माहौल बन गया और कुछ सिलेंडर बचे होने पर सिस्टम की सांसें फूल गई. कॉलेज के डीन डॉ जितेंद्र गुप्ता ने विधायक चेतन कश्यप, कलेक्टर गोपाल चंद्र को स्थिति से अवगत कराया. उसके पश्चात विधायक ने प्रभारी मंत्री जगदीश देवड़ा को पूरी जानकारी दी. तब निगमायुक्त सोमनाथ झारिया ने जिम्मेदारी संभाली. उन्होंने निगम के सारे लोडिंग वाहनों को कॉलेज में भेजा और स्वयं भी गए जहां पर ऑक्सीजन सिलेंडर संग्रहित कर रखे थे.

एक टैंकर 5 मिट्रिक टन ऑक्सीजन लेकर पहुंचा
लोडिंग वाहन से 50-50 सिलेंडर मालवा और महावीर ऑक्सीजन प्लांट से भरवा कर कॉलेज पहुंचते रहे और खाली होते रहे. हालात यह रहे कि निगम कर्मियों के साथ साथ डॉक्टर और नर्सों को भी सिलेंडर चढ़ाना और उतारना पड़ रहा था. साढ़े 6 घंटे तक सबकी सांसें अटकी रही. रात को 12.30 बजे एक टैंकर 5 मिट्रिक टन ऑक्सीजन लेकर पहुंचा. हालांकि यह अक्सीजन भी शनिवार तक सांसे दे पाएगी. संभावना जताई जा रही है मंगलवार दोपहर तक 20 टन ऑक्सीजन और आएगी इसकी व्यवस्था की जा रही है.

प्रशासन की पर्याप्त व्यवस्था की पोल खुली
इसी प्रकार रतलाम के सबसे बड़े निजी कोविड-19 हॉस्पिटल आयुष ग्राम में 12 बजे ऑक्सीजन खत्म होने की सूचना सामने आई. 20 से ज्यादा मरीजों की जान बचाने के लिए डॉ राजेश शर्मा और परिजन ऑक्सीजन प्लांट पहुंचे और सिलेंडर भरवा कर अस्पताल भेजें. जिससे मरीजों की सांसे थमने से रोक पाए. उल्लेखनीय कि इसके पूर्व रतलाम में ऑक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्था बताई जा रही थी, परंतु इस घटनाक्रम ने अब जिले में ऑक्सीजन को लेकर चिंता पैदा कर दी है.