रायपुर। दिल्ली स्थित छत्तीसगढ़ सदन में ठहरने वाले सांसद वहां रुकने पर थमाए जाने वाले बिल को लेकर नाराज हैं. छत्तीसगढ़ के सांसद बिल का समाधान चाहते है. वे इस बिल के खिलाफ लामबंद होते नजर आ रहे हैं. बिल का यह मुद्दा कुछ इस तरह गहराया कि मुख्यमंत्री की बैठक में भी उठ गया. सांसदों ने दो टूक लहजे में मुख्यमंत्री से कह दिया है कि बिल या तो छत्तीसगढ़ सरकार वहन करे या फिर लोकसभा या राज्यसभा.
दरअसल दिल्ली प्रवास पर गए मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने छत्तीसगढ़ के सभी सांसदों के साथ बैठक की. बैठक थी छत्तीसगढ़ के विकास और लंबित योजनाओं को लेकर. लेकिन इस दौरान बैठक में सबसे गंभीर मुद्दा छत्तीसगढ़ भवन में ठहरने के बिल का आ गया. फिर क्या था चर्चा बेहद गंभीर हो चली.
सांसदों ने मुख्यमंत्री को भावुक हो कर अपना दर्द सुनाया. उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ भवन में रुकने पर सांसदों को 50 हजार से लेकर 4 लाख रुपए तक के अलग-अलग बिल थमाए गए हैं. एक सांसद ने कहा कि वे सब अनुमति लेकर ठहरते हैं और जब खाली करते हैं तो बता देते हैं. सांसद ने कहा हमें लंबे समय बाद बिल देने का औचित्य क्या है? इस खर्चे को लोकसभा, राज्यसभा या फिर छत्तीसगढ़ सरकार वहन करे. दरअसल वहां ठहरने वाले सांसदों को छत्तीसगढ़ सदन की तरफ से नोटिस भेजा गया है. जिसमें उन्हें ठहरने का बिल भुगतान करने के लिए कहा है. बताया जा रहा है कि बैठक के दौरान सबसे पहले यह मुद्दा राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मोतीलाल वोरा ने उठाया. वोरा ने इस विषय का समाधान ढूंढे जाने की वकालत की, जिस पर सभी सांसदों ने अपनी सहमति जताई.
इस बैठक में भाजपा के सांसद रमेश बैस, विष्णुदेव साय, रामविचार नेताम, विक्रम उसेंडी, दिनेश कश्यप, कमला पाटले, लखनलाल साहू, चंदूलाल साहू, कमलभान सिंह, रणविजय सिंह जूदेव, अभिषेक सिंह और कांग्रेस सांसद मोतीलाल वोरा व ताम्रध्वज साहू उपस्थित थे. वहीं बैठक में शामिल सांसदों ने बताया कि नए सांसदों को ठहरने की व्यवस्था पार्लियामेंट द्वारा ही किया जाता है. उनके लेटर के आधार पर पजेशन मिलता है. इसलिए इसका बिल का वहन पार्लियामेंट को ही उठाना चाहिए. इसके साथ ही बताया गया कि छत्तीसगढ़ सदन में रुम खाली करने पर चाबी वहां सौंप दी गई थी लेकिन शायद वहां इंट्री नहीं की गई.
आइए ये भी समझ लें सांसदों को कितना वेतन और भत्ता मिलता है
- लोकसभा और राज्यसभा के सांसद कार्यकाल के दौरान 50 हजार रुपये का वेतन मिलता है.
- अगर सांसद की कार्यवाही के दौरान उसमें शामिल होते हैं, और रजिस्टर में हस्ताक्षर करते हैं तो उन्हें 2000 रुपये हर रोज का भत्ता मिलता है.
- एक सांसद अपने क्षेत्र में कार्य कराने के लिए 45000 रुपये प्रतिमाह भत्ता पाने का हकदार होता है.
- कार्यालयीन खर्चों के लिए एक सांसद को 45000 रुपये प्रतिमाह मिलता है. इसमें से वह 15 हजार रुपये स्टेशनरी पर खर्च कर सकता है. इसके अलावा अपने सहायक रखने पर सांसद 30 हजार रुपये खर्च कर सकता है.
- सांसद निधि (मेंबर ऑफ पार्लियामेंट लोकल एरिया डेवलपमेंट) स्कीम के तहत सांसद अपने क्षेत्र में 5 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष का खर्च करने की सिफारिश कर सकता है.
- सांसदों को हर तीन महीने में 50 हजार रुपये यानी करीब 600 रुपये रोज घर के कपड़े धुलवाने के लिए मिलते हैं.
- सांसदोंको हवाई यात्रा का 25 प्रतिशत ही देना पड़ता है. इस छूट के साथ एक सांसद सालभर में 34 हवाई यात्राएं कर सकता है. यह सुविधा पति/पत्नी दोनों के लिए है.
- ट्रेन में सांसद फर्स्ट क्लास एसी में अहस्तांतरणीय टिकट पर यात्रा कर सकता है. उन्हें एक विशेष पास दिया जाता है.
- एक सांसद को सड़क मार्ग से यात्रा करने पर 16 रुपये प्रतिकिलोमीटर यात्रा भत्ता मिलता है.
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