डोंगरगढ़– छत्तीसगढ़ की सियासत में डोंगरगढ़ विधानसभा सीट की खासी अहमियत है. माता बम्लेश्वरी की इस पावन भूमि में जनता ने भाजपा को लगातार तीन साल तक जीताया है. यह एक एससी सीट है और इस क्षेत्र में  लगभग 1 लाख एसटी एससी वोटर्स हैं जो चुनाव को प्रभावित करते आए हैं. इस बार भी इस डोंगरगढ़ सीट पर चुनावी घमासान काफी दिलचस्प है क्योंकि बीजेपी कांग्रेस के साथ मुकाबले में एक निर्दलीय उम्मीदवार भी है जो दोनों पार्टियों को कांटे की टक्कर दे रहा है.

कौन कौन है मैदान में-

बीजेपी- सरोजनी बंजारे

कांग्रेस- भुवनेश्वर शोभाराम बघेल

निर्दलीय- तरूण हथेल

आम आदमी पार्टी- यीशु चांदने

बसपा- मिश्री लाल मारकंडे

2013 विधानसभा चुनाव, एससी सीट

सरोजनी बंजारे, बीजेपी, कुल वोट मिले 67158

थानेश्वर पाटिला, कांग्रेस, कुल वोट मिले 62474

क्या हैं जनता के स्थानीय मुद्दे-

  1. विकास का मुद्दा–  डोंगरगढ़ में विकास का मुद्दा बहुत गर्म है. जनता का कहना है कि वर्तमान विधायक ने क्षेत्र में विकास के कोई भी कार्य नहीं किए हैं. क्षेत्र में विकास की स्थिति बदहाल है.
  2. स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली– क्षेत्र में स्वास्थ्य व्यवस्था का खस्ता हाल है. एक वक्त यहां अस्पतालों की स्थिति इतनी अच्छी थी कि छोटे-छोटे ऑपरेशन भी हुआ करते थे. लेकिन वर्तमान स्थिति पर नज़र डाले तो यहां नागरिकों को इलाज के लिए डोंगरगढ़ से बाहर जाना पड़ता है.
  3. किसान वर्ग की नाराजगी- यहां किसान वर्ग मौजूदा सरकार की नीतियों से खफा नज़र आ रहा है. लिहाजा किसान वर्ग इस चुनाव को प्रभावित कर सकता है.
  4. रोजगार का मुद्दा– युवाओं की मांग है कि रोजगार के साधन उपलब्ध कराए जाएं ताकि क्षेत्र के युवाओं को काम काज के अवसर मिले.
  5. इसके अलावा अवैध शराब, घटिया सड़क निर्माण और शिक्षा का गिरता ग्राफ, अवैध खनन, भ्रष्टाचार जनता का प्रमुख मुद्दा है.

क्या कहता है चुनावी समीकरण-

बीजेपी- बीजेपी की अगर बात की जाए तो बीजेपी ने यहां से सरोजनी बंजारे को मैदान पर उतारा है. सरोजनी ने इस सीट पर 2013 का विधानसभा चुनाव जीता था. इसलिए बीजेपी ने एक बार फिर से सरोजनी पर भरोसा जताया है. हालांकि सरोजनी को फिर से टिकट दिए जाने से बीजेपी में ही बगावत के सुर उठ रहे हैं. वहीं जनता की अगर बात की जाए तो इन पांच सालों में जनता ने सरोजनी के रिपोर्ट कार्ड को फेल करार कर दिया है. जनता का कहना है कि इन पांच सालों में क्षेत्र में विकास के कार्य नहीं किए गए हैं. दूसरी तरफ क्षेत्र में स्वास्थ्य की स्थिति जो पहले बेहतर थी वो भी खराब हो गई. बड़ा किसान वर्ग भी सरोजनी से नाराज़ चल रहा है.

कांग्रेस- कांग्रेस ने भुवनेश्वर शोभाराम बघेल को इस सीट टिकट दिया है. भुवनेश्वर बघेल कांग्रेल का एक नया चेहरा है. और नगरपालिका के अध्यक्ष रह चुके हैं  इनकी साफ सुधरी छवि को देखते हुए कांग्रेस ने इन्हे टिकट दिया है. हालांकि आम जनता की अगर बात करें तो जनता के लिए भुवनेश्वर बिल्कुल नया चेहरा है और जनता नए चेहरे को वोट देने से पहले काफी विचार विमर्श कर सकती है.

निर्दलीय– इस बार डोंगरगढ़ की सीट पर प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं निर्दलीय प्रत्याशी तरूण हथेल. आपको बता दें कि तरूण कुछ समय बीजेपी से भी जुड़े रहे हैं हालांकि बीजेपी से टिकट नहीं मिलने पर ये निर्दलयी ही चुनाव लड़ते आए हैं. इस बार तरूण हथेल के जीतने की संभावना इसलिए बनी हुई है क्योंकि जनता सरोजनी बंजारे से नाखुश है और कांग्रेस के नए चेहरे पर दांव लगाकर रिस्क नहीं लेना चाहती. तो जनता के पास एक ही विकल्प बचता है और वो है तरूण हथेल. तरूण हथेल की अगर बात की जाए तो जनता से जुड़े हुए प्रत्याशी है ये समाजसेवी भी रह चुके हैं और जनता की नब्ज से वाकिफ हैं. इसलिए डोंगरगढ़ विधानसभा सीट पर इस निर्दलीय प्रत्याशी पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं.

अब देखना काफी दिलचस्प होगा कि जनता नए चेहरे पर दांव लगाती है या फिर पुराने प्रत्याशी को ही वोट देती है और अगर जनता अगर विकल्प के तौर पर तरूण का हाथ थामती है तो इसमे आश्चर्श की कोई बात नहीं होगी.