वाराणसी. विजयदशमी (Dussehra 2024) के अवसर पर शनिवार को काशी विश्वनाथ मंदिर में पहली बार शस्त्र पूजन (sashtra puja) किया गया. बाबा विश्वनाथ के धाम के मुख्य चौक में आयोजित शस्त्र पूजन कार्यक्रम में मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्वभूषण मिश्रा ने बाबा विश्वनाथ के त्रिशूल, गदा, तलवार, तीर धनुष और अन्य शस्त्रों का पूजन किया.
बाबा विश्वनाथ धाम में पुरानी परंपराओं को पुनर्जीवित करने का प्रयास निरंतर जारी है. इस अवसर पर बाबा विश्वनाथ के सभी शस्त्रों की विधिवत आरती उतारी गई, साथ ही प्रभु श्री राम की भी पूजा की गई. मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी के अनुसार विजयदशमी का पर्व सनातन परंपरा का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है. यह दिन शस्त्र और शास्त्र दोनों के लिए प्रसिद्ध है. शस्त्र हमें सुरक्षा प्रदान करते हैं, जबकि शास्त्र जीवन जीने के तरीके सिखाते हैं. दोनों का महत्व अलग-अलग है लेकिन समान रूप से आवश्यक हैं.
भगवान शिव ने की थी शस्त्र परंपार की शुरुआत
भगवान शिव ने शस्त्रों की परंपरा की शुरुआत की थी. परशुराम जी को सभी प्रकार के शस्त्र देकर भगवान शिव ने उन्हें सशक्त बनाया. विजयदशमी पर शस्त्र पूजन की परंपरा का पालन करना आवश्यक है, ताकि ये सांस्कृतिक मूल्य जीवित रहें. मंदिर प्रशासन ने बताया कि ये परंपराएं अत्यंत प्राचीन हैं, और बाबा विश्वनाथ के धाम में हमेशा से इनका पालन होता रहा है. हालांकि, अतीत में मंदिर के विध्वंस और अन्य हमलों के कारण कई परंपराएं बाधित हुई थीं. अब, मंदिर प्रशासन पुनः इन परंपराओं को स्थापित करने का प्रयास कर रहा है. विजयदशमी के मौके पर शस्त्र पूजन की परंपरा की शुरुआत इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
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