देशभर में 7 जून को बकरीद (Bakrid) का त्योहार मनाया जाएगा, लेकिन इसके पहले इस पर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है. बकरीद से जुड़े विवादों पर शिवसेना (UBT) के विधायक आदित्य ठाकरे (Aditya Thackeray) ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाते हुए सवाल उठाया है कि हर त्योहार के दौरान सरकारें क्यों बचत करने की अपील करती हैं. जबकि लोगों को अपने त्योहार मनाने का पूरा अधिकार है.
ये सरकार का काम नहीं है
उन्होंने कहा कि वे भी पर्यावरण के प्रति संवेदनशील हैं, लेकिन लगातार पानी, रंग और अन्य चीजों को बचाने की अपीलों के बीच, सांस लेने की स्वतंत्रता भी जरूरी है. त्योहारों का मनाना व्यक्तिगत अधिकार है, यह सरकार का कार्य नहीं है. सरकार का मुख्य दायित्व आत्महत्या कर रहे किसानों की सहायता करना, बारिश के पानी की समस्या का समाधान करना और सुरक्षा के लिए आए आतंकवादियों का पता लगाना है. त्योहारों में हस्तक्षेप करना सरकार का काम नहीं है.
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गौसेवा आयोग के निर्देश के बाद से बढ़ा मामला
महाराष्ट्र गौसेवा आयोग के निर्देशों ने बकरीद के संदर्भ में विवाद को जन्म दिया है. आयोग ने 3 से 8 जून तक राज्य के पशु बाजारों को बंद रखने का आदेश दिया, जिससे विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में असंतोष उत्पन्न हुआ. इस निर्णय के खिलाफ कई राजनीतिक दलों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर अपनी आपत्ति व्यक्त की है.
7 जून को देशभर में बकरीद का पर्व मनाया जाएगा, लेकिन इससे पहले बाजारों के बंद होने की घोषणा ने पशुपालकों और किसानों के बीच चिंता की लहर पैदा कर दी है. विपक्षी दलों का कहना है कि किसान महीनों तक अपने पशुओं की देखभाल इस त्योहार के लिए करते हैं, और ऐसे में अचानक बाजार बंद करने का निर्णय उनके लिए आर्थिक संकट उत्पन्न कर सकता है. उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र गौसेवा आयोग के निर्देशों को फिलहाल वापस ले लिया गया है.
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