Jagdeep Dhankhar On Opposition: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर चुप्पी तोड़ दी है. उन्होनें अविश्वास प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा बायपास सर्जरी के लिए कभी सब्जी काटने का चाकू इस्तेमाल नहीं करते हैं. विपक्ष (Opposition) द्वारा लगातार उपराष्ट्रपति (उपराष्ट्रपति) को घेरे जाने के बाद यह उनका पहला बयान है. उन्होनें कहा ‘मेरे खिलाफ दिया गया नोटिस सब्जी काटने का चाकू भी नहीं था, उसमें जंग लगी हुई थी. वह बहुत जल्दबाजी में दिया गया था. जब मैंने उसे पढ़ा तो हैरान रह गया. लेकिन सबसे ज्यादा जिस बात से मुझे हैरानी हुई वो यह है कि आपमें से किसी ने उसे नहीं पढ़ा. अगर पढ़ा होता, तो आप कई दिन सो नहीं पाती.’
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उपराष्ट्रपति ने मंगलावर को अपने निवास पर महिला जर्नलिस्ट को संबोधित किया. इस दौरान अपने खिलाफ लाए गए नोटिस पर पहली बार टिप्पणी की. उपराष्ट्रपति ने चंद्रशेखर आजाद के एक बयान का हवाला देते हुए कहा सब्जी काटने वाले चाकू से बाईपास सर्जरी कभी नहीं करें. वह बोले, “मेरे खिलाफ लाया गया नोटिस तो सब्जी काटने वाला चाकू भी नहीं था, उसमें तो जंग लगा हुआ था.” उपराष्ट्रपति ने चेतावनी देते हुए कहा कि देश विरोधी ताकतों की ओर से संवैधानिक संस्थानों को ईंट-दर-ईंट कमजोर करने के प्रयास किया जा रहा है.
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उपराष्ट्रपति ने कहा कि संवैधानिक पदों की गरिमा को प्रतिष्ठा, उच्च आदर्श और संवैधानिकता से बनाए रखना बेहद आवश्यक है. लोकतंत्र की सफलता के लिए अभिव्यक्ति और संवाद अपरिहार्य हैं. वह बोले, “उपराष्ट्रपति के खिलाफ दिए गए नोटिस को देखिए. उसमें दिए गए छह लिंक को देखिए.
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यह बयान विपक्ष द्वारा संसद के हाल ही में हुए शीतकालीन सत्र के दौरान 10 दिसंबर को उपराष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के लिए नोटिस पेश करने की पृष्ठभूमि में आया है. 19 दिसंबर को तकनीकी खामियों सहित कई आधारों पर उच्च सदन के उपसभापति हरिवंश ने इस नोटिस को खारिज कर दिया था. हरिवंश ने इस कदम को ‘लापरवाही’ और ‘अहंकारी’ बताया और कहा कि इसमें जगदीप धनखड़ का नाम भी गलत लिखा गया है.
उन्होंने महिला पत्रकारों से कहा, ‘आप पत्रकार ही हमारी आखिरी उम्मीद हैं, क्योंकि लोकतंत्र की सफलता के लिए दो चीजें ही जरूरी हैं.’ उन्होंने इस दौरान पत्रकारों के दो अधिकारों पर भी बात की. उन्होंने कहा कि हमारा पहला है अभिव्यक्ति का अधिकार. अगर अभिव्यक्ति योग्य है और उसके साथ समझौता किया गया है तो यह लोकतांत्रिक विकास के विपरीत है. दूसरा है संवाद. इसका मतलब यह है कि अपने वोकल कॉर्ड यानी अपनी आवाज को बुलंद करने से पहले, आपको अपने कानों को दूसरे दृष्टिकोण को भी समझना होगा. यदि ये दोनों चीजें नहीं होंगी तो #लोकतंत्र न तो पोषित हो सकता है और न ही पुष्पित-पल्लवित हो सकता है.
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