इंदौर. हाईकोर्ट के आदेश पर जेल में बंद भू-माफिया को रजिस्ट्रार ऑफिस ले जाकर सोमवार को 17 प्लाट्स की रजिस्ट्री कराई गई. प्लॉट की रजिस्ट्री होने पर सालों से पीडित लोगों को राहत मिली है.
जानकारी के अनुसार मोती तबेला स्थित रजिस्टार ऑफिस में नागपुर की फिनिक्स इंफ्रा कंपनी के डायरेक्टर को हथकड़ी में जेल से रजिस्टार ऑफिस लाया गया. जहां 17 पीडि़तों के नाम उनके आवासीय जमीन की रजिस्ट्री करवाई गई.
मामला बेटमा के काली बिल्लोद में विद्या विहार का
मामला बेटमा के काली बिल्लोद में विकसित विद्या विहार, नेचरल वैली और साईं बाग टाउनशिप का है. डीएस इंफ्रा, एआर टाउन डेवलपर्स कंपनी और भाईजी डेवलपर्स ने 2010 में इन टाउनशिप में प्लाट के नाम पर लोगों से पैसा जमा कराया था. पूरा पैसा देने के बाद भी प्लाट खरीदने वाले रजिस्ट्री के लिए भटक रहे थे. टाउनशिप की मार्केटिंग नागपुर की फिनिक्स इंफ्रा कंपनी ने की थी. लोगों ने अपनी मेहनत की कमाई डूबता देख 2016 में पुलिस से शिकायत की थी. कंपनियों के डायरेक्टरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई थी. 2019 जनवरी में कोर्ट के आदेश पर मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित कर दी गई. मामले की जांच के बाद फिनिक्स इंफ्रा के डायरेक्टर कैलाश मंडपे को गिरफ्तार कर लिया. कोर्ट में पेश करने के बाद कैलाश को जेल भेज दिया गया.
रजिस्ट्री के बाद जमानत पर विचार
बता दें कि मुख्यमंत्री के आदेश पर भू माफिया पर हुई कार्रवाई के बाद उन्होंने हाईकोर्ट में जमानत अर्जी लगाई थी. हाईकोर्ट ने जमानत अर्जी की सुनवाई पर कहा था कि पहले पीडि़तों को उनके प्लॉट दें, उसके बाद इनकी जमानत पर विचार किया जाएगा.