आज से 51 वर्ष पहले आज ही के दिन भारत ने अपने सबसे सीक्रेट मिशन ‘स्माइलिंग बुद्धा’ को अंजाम दिया था और दुनिया को अपनी ताकत का लोहा मनवाया था। तमाम दबावों के बावजूद 18 मई 1974 में पोखरण-I के उस धमाके ने न सिर्फ भारत को दुनिया की छठी परमाणु शक्ति बनाया, बल्कि यह संदेश भी दिया कि विज्ञान और सुरक्षा के मामले में भारत किसी से पीछे नहीं रहने वाला।
पोखरण परीक्षण ‘स्माइलिंग बुद्धा’ नाम ही क्यों चुना गया ?
बता दें कि, ‘स्माइलिंग बुद्धा’ पोखरण परीक्षण के लिए एक कोड नेम था। यह परीक्षण 18 मई 1974 को किया गया था, जो कि बुद्ध पूर्णिमा का दिन था। बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो बुद्ध के जन्म, ज्ञान और मृत्यु को मनाने के लिए मनाया जाता है।
शांति का संदेश:
भारत इस परीक्षण के माध्यम से दुनिया को शांति का संदेश देना चाहता था। यह परीक्षण उन लोगों को संदेश देने के लिए किया गया था जो दुनिया में शांति स्थापित करना चाहते थे। इस प्रकार, “स्माइलिंग बुद्धा” नाम इस परीक्षण के लिए चुना गया था, ताकि यह संदेश दिया जा सके कि भारत एक शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम चलाता है और दुनिया में शांति और सुरक्षा स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
यह मिशन भारत के इतिहास का वह मोड़ था जब देश ने दुनिया को दिखा दिया कि हम न केवल सभ्यता और शांति के प्रतीक हैं, बल्कि जरूरत पड़ने पर सैन्य और तकनीकी ताकत भी रखते हैं। अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन के बाद भारत छठा ऐसा देश बना जिसके पास परमाणु हथियार विकसित करने की क्षमता थी।
प्रतिबंधों के बावजूद भारत ने मिशन पूरा किया
पोखरण-1 के बाद भारत पर अमेरिका समेत कई देशों ने प्रतिबंध लगाए, लेकिन DRDO, BARC और ISRO जैसे संस्थानों ने मिलकर देश को तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर किया। 11 और 13 मई 1998 को तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने पांच और परमाणु परीक्षण किए, जिनके साथ भारत ने खुद को एक “परमाणु हथियार संपन्न राष्ट्र” घोषित कर दिया।
इसके साथ ही भारत ने दो प्रमुख सिद्धांत अपनाए। पहला- भारत पहले परमाणु हमला नहीं करेगा। दूसरा- भारत केवल न्यूनतम लेकिन विश्वसनीय शक्ति रखेगा।
भारत के पास अभी कितने परमाणु हथियार मौजूद ?
स्वीडिश संस्थान SIPRI के अनुसार भारत के पास 2024 तक लगभग 160–170 परमाणु हथियार मौजूद हैं। इतना ही नहीं भारत अब थल, जल और नभ – तीनों माध्यमों से परमाणु हमले करने की पूर्ण क्षमता रखता है। थल में अग्नि-1 से लेकर अग्नि-5 तक लंबी दूरी की मिसाइलें हैं। जल में INS Arihant जैसी परमाणु-सक्षम सबमरीन और नभ में Mirage-2000 और Su-30MKI जैसे लड़ाकू विमान हैं। वहीं पाकिस्तान की बात करे तो उसके पास अभी भारत से अधिक करीब 180 के लगभग परमाणु हथियार हैं।
‘नो फर्स्ट यूज’ पॉलिसी पर पुनर्विचार करने की उठती रही है मांग
गौरतलब है कि, भारत की परमाणु नीति अब भी ‘नो फर्स्ट यूज’ पर आधारित है, हालांकि पिछले कुछ वर्षों में इसके पुनर्मूल्यांकन की आवाजें उठी हैं। ताजा मामला पहलगाम हमले को ही ले लीजिए, जब भारत की कार्रवाई के डर से पाकिस्तान लगातार परमाणु हमले की धमकी देने पर आ गया था। उसके लगभग सभी नेता भारत को गीदड़भभकी देते नजर आ रहे थे।
हालांकि, इस बात को सभी जानते है कि अगर पाकिस्तान ने ऐसा दुस्साहस किया तो भारत का अगला कदम उसे दुनिया के नक़्शे से मिटा देगा। दरअसल, डिफेंस एक्सपर्ट्स की मानें तो पाकिस्तान जानबूझ कर ऐसे बयान देता है ताकि पश्चिमी देश आगे आकर दोनों देशो के बीच सुलह कराने की जल्द-से-जल्द पहल करें ताकि वह भारत की कार्रवाई से बच जाए।
51 वर्षों से अबतक भारत ने हासिल की अहम् सफलता
1974 में पोखरण-1 ने भारत की परमाणु शक्ति में पहली एंट्री दी। 1998 में पोखरण-2 टेस्टिंग से आधिकारिक रूप से परमाणु राष्ट्र की मान्यता मिली। 2003 में न्यूक्लियर डॉक्ट्रिन की नीति तय की गई। 2016 में परमाणु-सक्षम सबमरीन INS Arihant भारतीय सेना में शामिल हुआ। 2020 के बाद MIRV टेक्नोलॉजी और अग्नि-5 जैसी अत्याधुनिक मिसाइल तकनीक सेना के बेड़े में शामिल हुए।
Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक