अंबिकापुर। अदाणी समूह ने 2030 तक 10 करोड़ पेड़ और समूह के प्राकृतिक संसाधन विभाग ने अगले छह वर्षों में 86 लाख से अधिक पेड़ लगाने का लक्ष्य रखा है. इस मिशन के परिप्रेक्ष्य में सरगुजा जिले के उदयपुर तहसील में कोयला मंत्रालय द्वारा अनुमोदित राज्य की एक मात्र 5 स्टार रेटिंग की परसा ईस्ट कांता बासन (पीईकेबी) खदान ने आज विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर 25000 पौधे लगाकर पर्यावरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता में एक कदम और आगे बढ़ाया है. इस वृहद वृक्षारोपण कार्यक्रम को सफल बनाने में 800 प्रतिभागियों ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया. राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल) की पीईकेबी खदान में कोयला निकाले जा चुकी भूमि अर्थात रिक्लेमेड भूमि में पिछले 10 सालों 11.50 लाख से अधिक पेड़ लगा चुके हे, जो भारत के खनन उद्योग में अब तक का सबसे बड़ा वृक्षारोपण कार्यक्रम है.
खास बात यह है कि आरआरवीयूवीएनएल और उसके द्वारा चुने गए खदान संचालक अदाणी नेचुरल रिसोर्सेज के बागवानी विभाग ने जंगली पेड़ साल की नर्सरी बनाने में भी बड़ी सफलता पाई है. इसके साथ ही पिछले 10 वर्षों में 82,000 से ज्यादा साल के पौधे को विकसित करने की एक मुश्किल प्रक्रिया से साल के वृक्षों का सफल रोपण कर एक अनूठा कीर्तिमान स्थापित किया है.
बुधवार को विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर पीईकेबी खदान पर प्रशासनिक भवन से हनुमान वाटिका तक पैदल मार्च निकाला गया और उसके बाद विशाल वृक्षारोपण अभियान चलाया गया. वृक्षारोपण अभियान में खदान के पास 25 हजार पौधे रोपे गए. इन पौधों को पानी और अन्य पोषण के लिए अध्यातन व्यवस्था भी की गई है . जबकि इसकी शुरूआत 1 से 4 जून तक निबंध लेखन प्रतियोगिता सहित अन्य जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया गया जिसमें परसा, साल्ही, घाटबर्रा, फतेहपुर, बासेन और तारा गांव से 295 विद्यार्थियों ने भाग लिया. प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया.
यहां का बागवानी विभाग खदान क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण उसके सतत विकास और जैव विविधता सुनिश्चित करने के लिए मियावाकी और गोटी एयर लेयरिंग जैसी नवीन तकनीकों का उपयोग करती है.
आरआरवीयूएनएल के एमडीओ अदाणी इंटरप्राइजेस लिमिटेड (एईएल) के बागवानी विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों ने न सिर्फ़ साल के हजारों पौधों की नर्सरी तैयार की बल्कि इन्हें खदान के रिक्लेमेशन विस्तार में उगाकर एक नये जंगल का रूप भी दिया है. खदान ने 1100 से ज्यादा एकड़ भूमि में साल वृक्षों का नया जंगल विकसित किया है जहां समय के साथ लगभग 20 से 30 फुट ऊँचे वृक्षों में तब्दील हो गए हैं. इस साल 82 हजार साल के पौधे उगाने का लक्ष्य रखा गया है.
खदान के उद्यान विभाग के प्रभारी राजकुमार पाण्डेय ने बताया कि, “खदान ने वन विभाग के मार्गदर्शन में वर्ष 2023 में 2 लाख 12 हजार से अधिक पेड़ लगाए थे. वहीं खदान ने 9 हजार से अधिक साल वृक्षों का सफल प्रत्यारोपण (ट्रांसप्लांटेशन) भी किया है. खदान में एक आधुनिक नर्सरी भी बनाई गई है, जहां वर्ष के किसी भी समय इस नर्सरी में लगभग 3 लाख पौधे वृक्षारोपण के लिए उपलब्ध रहते हैं.”
पांच राज्यों में विभिन्न स्थलों पर अदाणी नेचुरल रिसोर्सेज की खनन परियोजना की टीमों ने 50,000 से अधिक फलदार और देशी पौधे लगाए और वितरित किए, जो हरित भविष्य के पोषण के लिए कंपनी की प्रतिबद्धता का प्रमाण है.
खदान का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में और अधिक पेड़ लगाकर एक हरित छत्तीसगढ़ का निर्माण किया जाए. जिस जापानी मियावाकी तकनीक से घने जंगल उगाने का कार्य किया जा रहा है, उसके माध्यम से 55 से 60 पौधे इस क्षेत्र के मूल प्रजाति के लगाए जाते हैं ताकि यह हमेशा हरे-भरे रहें और एक सघन जंगल बन जाए. जहां सामान्य तरीके से वृक्षारोपण में एक हेक्टेयर में 2500 पेड़ लगाए जाते हैं, वहीं इस तकनीक से एक हेक्टेयर में 30000 से 35000 पेड़ लगाए जाते हैं.
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