शशांक द्विवेदी, खजुराहो। बुंदेलखंड की परंपरा और लोक संस्कृति की आस्था से जुड़े एक दिवसीय मौनिया पर्व की शुरुआत हो गई है। इसे दिवाली के दूसरे दिन बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। मध्य प्रदेश सरकार की ओर से एक मंच भी प्रदान किया जाता है।
बुंदेलखंड की परंपरा और लोक संस्कृति की आस्था से जुड़ा मौनिया पर्व जिसे दिवाली के दूसरे दिन बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। जहां ग्रामीण लोग दिवाली की पूजा के बाद मौन व्रत कर सात गांव की मेड़ पार करते हैं। वहीं बुंदेलखंड के प्रसिद्ध मतंगेश्वर महादेव मंदिर में आसपास के 100 से अधिक गांव के लोग पहुंचते हैं और अपना मौन व्रत तोड़ते हैं।
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इसी पारंपरिक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए संस्कृति विभाग मध्यप्रदेश शासन की ओर से आदिवर्त जनजातीय एवं लोक कला राज्य संग्रहालय, खजुराहो के सहयोग से एक मंच की व्यवस्था की जाती है, जिसके बाद सर्वश्रेष्ठ मोनिया नृतक को पुरस्कृत किया जाता है। आदिवर्त संग्रहालय के प्रबंधक भास्कर पारखे ने बताया कि मध्य प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग ने एक मंच प्रदान किया है।
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उन्होंने बताया कि ग्वाल समाज की यह सदिया से परंपरा रही है कि ये हाथ में मोर का पंख धारण कर जगह जगह जाते है और मौन धारण कर पारंपरिक नृत्य करते है। इस संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने मंच प्रदान किया है। बीते साल भी यहां पर ऐसे ही मंच उपलब्ध कराया गया था।
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