शब्बीर अहमद, भोपाल। मध्यप्रदेश में आपको अगर नर्सिंग सेक्टर में भविष्य बनाना है तो पढ़ाई और नंबर के साथ सिस्टम के कई बाधाओं को पार करना होगा। इसके साथ-साथ किस्मत भी आपके साथ होना चाहिए नहीं तो आप भटकते रह जाएंगे। एमपी में युवाओं को फार्मेसी के बाद मेडिकल स्टोर खोलने के लिए भटकना पड़ रहा है। राजधानी में बड़ी संख्या में प्रदेशभर के युवा आकर रजिस्ट्रेशन और लाइसेंस रिन्यू कराने के लिए परेशान हो रहे हैं। वजह है कि रजिस्ट्रार ऑफिस में मौजूद नहीं रहती है। जिसकी वजह से उनके रजिस्ट्रेशन पर साइन नहीं हो पता है और युवा परेशान होकर वापस लौट जाते हैं। आइए जानते हैं कि क्यों भटक रहे फार्मेसी करने वाले युवा, मध्य प्रदेश में क्यों नहीं मिल पा रही है उनको डिग्री के बाद भी रजिस्ट्रेशन की अनुमति…

मध्यप्रदेश में किसी को मेडिकल की दुकान खोलनी है तो मध्य प्रदेश स्टेट फार्मेसी काउंसिल की अनुमति जरूरी है। काउंसिल की अनुमति के बाद ही कोई मेडिकल की दुकान खोल सकता है, लेकिन प्रदेश में फार्मेसी काउंसिल में रजिस्ट्रार आते ही नहीं तो फिर कैसे युवा मेडिकल की दुकान खोलेंगे। इन्हीं युवाओं की समस्या की पड़ताल की। सागर, छतरपुर, बालाघाट, खंडवा और प्रदेशभर से आए हुए युवाओं ने बताया कि डेढ़, 2 साल हो चुका है लेकिन रजिस्ट्रेशन के लिए भोपाल आते हैं।

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अनुमति की रफ्तार सुस्त

उन्हें आश्वासन दे दिया जाता है लेकिन सिर्फ खानापूर्ति ही साबित होता है। हजारों की संख्या में युवाओं की रजिस्ट्रेशन पेंडिंग काउंसिल के पास है लेकिन उन्हें अनुमति देने की रफ्तार काफी सुस्त है। यही कारण है कि उम्मीद और आस से भरे युवा काउंसिल से अनुमति के लिए गुहार लगाते हैं लेकिन सिर्फ उनका भोपाल आना ही होता है और खाली हाथ लौट जाते हैं।

मंत्री ने कही ये बात

आखिरकार युवाओं की आवाज सरकार के कानों तक पहुंच गई। राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल को जब इस बात की जानकारी लगी तो उन्होंने फार्मेसी के अधिकारियों के साथ बातचीत की। खुद मध्य प्रदेश स्टेट फार्मेसी काउंसिल के दफ्तर पहुंचे। वहां पर परेशानियों को समझा और अधिकारियों को निर्देश दिए कि युवाओं के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा किया जाए, जिससे समय पर युवाओं को अनुमति मिल सके।

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ऐसा नहीं है कि काउंसिल कोई काम नहीं कर रहा है, लेकिन समय पर रजिस्टार पहुंचते ही नहीं। जिसकी वजह से उनके साइन रजिस्ट्रेशन और रिन्यूअल के लिए हो नहीं पाते हैं और समस्याओं से जूझते हुए युवा अपने जिले लौट जाते है। खैर मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं तो देखना दिलचस्प होगा कि आखिर इन हजारों युवाओं को आखिर कब तक अनुमति मिल पाती है।

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