आर्थिक उदारीकरण के प्रणेता अर्थशास्त्री पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया है. मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) को भारत की अर्थव्यवस्था में उदारीकरण लाने का श्रेय दिया जाता है.वे अविभाजित भारत के पंजाब (Punjab) के गाह गांव में पैदा हुए थे. पीवी नरसिम्हा राव (P. V. Narasimha Rao) सरकार (1991-96) में वित्तमंत्री रहे थे. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भारतीय राजनीति के एक्सीडेंटल PM के रूप में जाने जाते है. उनके PM बनने की पीछे की वजह दिलचस्प है. पीवी नरसिम्हा राव की सरकार आने के बाद मनमोहन सिंह के राजनीतिक जीवन का टर्निंग प्वाइंट रहा.
जानते है आर्थिक उदारीकरण किस्से
नरसिम्हा राव ने उस समय के अपने सबसे बड़े सलाहकार पीसी अलेक्जेंडर से पूछा कि क्या आप वित्तमंत्री के लिए ऐसे व्यक्ति का नाम सुझा सकते हैं, जिसकी इंटरनेशनल लेवल पर स्वीकार्यता हो. अलेक्जेंडर ने उन्हें रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर रह चुके और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के निदेशक आईजी पटेल का नाम सुझाया. आईजी पटेल दिल्ली आना नहीं चाहते थे, क्योंकि उनकी मां बीमार थीं और वे वडोदरा में थे. फिर अलेक्जेंडर ने ही मनमोहन सिंह का नाम लिया.
फोन पर मनमोहन सिंह को नहीं हुआ विश्वास
अलेक्जेंडर ने शपथ ग्रहण समारोह से एक दिन पहले मनमोहन सिंह को फोन किया. उस समय वे सो रहे थे, क्योंकि कुछ घंटे पहले ही विदेश से लौटे थे. जब उन्हें उठाकर इस प्रस्ताव के बारे में बताया गया तो उन्होंने इस पर विश्वास नहीं किया.
पीवी नरसिम्हा राव ने अफसर पीसी अलेक्जेंडर की सलाह पर वित्तमंत्री बनाया था. नरसिम्हा ने मनमोहन से कहा था कि अगर आप सफल हुए तो इसका श्रेय हम दोनों को जाएगा. अगर आप असफल हुए तो सिर्फ आपकी जिम्मेदारी होगी. मनमोहन सिंह ने कर दिखाया उनके उदारीकरण नीति का भारत को फायदा हुआ.
1991 में नरसिम्हा राव की सरकार में वित्तमंत्री रहते हुए उन्होंने बजट में उदारीकरण (Liberalization), निजीकरण (Privatization) और वैश्वीकरण (Globalization) से जुड़ी अहम घोषणाएं की, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार मिली. इसके चलते देश में व्यापार नीति, औद्योगिक लाइसेंसिंग, बैंकिंग क्षेत्र में सुधार और प्रत्यक्ष विदेश निवेश (FDI) की अनुमति से जुड़े नियम-कायदों में बदलाव किए गए.
राहुल की जिद ने साेनिया को पीएम बनने से रोका
UPA सरकार में विदेश मंत्री रहे नटवर सिंह अपनी किताब ‘वन लाइफ इज नॉट एनफ’ में इस बात का जिक्र करते हुए लिखते हैं, राहुल को डर था कि मां PM बनीं तो उन्हें भी दादी और पिता की तरह मार दिया जाएगा.’ इस समय गांधी परिवार की राजनीति अपने चरम पर थी. राहुल ने अपनी मां से कहा कि वो PM नहीं बनेंगी. राहुल अपनी मां को रोकने के लिए कुछ भी करने को तैयार थे. दोनों मां-बेटे के बीच ऊंची आवाज में बातें हो रही थीं.
2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने UPA गठबंधन बनाया और कई दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई. सोनिया गांधी 1998 में राजनीति में आई थीं और 2004 में पार्टी की कमान संभाल रही थी. भाजपा जीत के भरोसे में थी. नतीजे आए तो बीजेपी 182 सीटों से लुढ़ककर 138 सीटों पर आ गई थी. कांग्रेस 114 से बढ़कर 145 सीटों पर पहुंच गई. हालांकि, पीएम कौन बनेगा, इस बात को लेकर अनिश्चितता थी.
नटवर लिखते हैं, ‘राहुल बेहद गुस्से में थे. उस वक्त मैं, मनमोहन सिंह और प्रियंका वहीं थे. बात तब बढ़ गई जब राहुल ने कहा कि मां मैं आपको 24 घंटे का टाइम दे रहा हूं. आप तय कर लीजिए क्या करना है? आंसुओं से भरी मां (सोनिया) के लिए यह असंभव था कि राहुल की बात को वे दरकिनार कर दें.’
महाराष्ट्र में ATS का बड़ा एक्शन: 17 बांग्लादेशी नागरिकों काे किया गिरफ्तार, स्पेशल ऑपेरशन के तहत हुई कार्रवाई
18 मई 2004 की सुबह सोनिया गांधी सुबह जल्दी उठीं. राहुल और प्रियंका के साथ चुपचाप घर से बाहर निकल गईं. सोनिया की कार राजीव गांधी की समाधि पहुंची. तीनों थोड़ी देर तक समाधि के सामने बैठे रहे. उसी शाम 7 बजे संसद के सेंट्रल हॉल में कांग्रेस सांसदों की बैठक हुई. सोनिया गांधी ने राहुल और प्रियंका की तरफ देखकर कहा- मेरा लक्ष्य कभी भी प्रधानमंत्री बनना नहीं रहा है. मैं हमेशा सोचती थी कि अगर कभी उस स्थिति में आई, तो अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनूंगी. आज वह आवाज कहती है कि मैं पूरी विनम्रता के साथ ये पद स्वीकार न करूं.
इसके बाद दो घंटे तक कांग्रेस के सांसद सोनिया को पीएम बनने के लिए मनाते रहे, लेकिन नाकामी हाथ लगी. इसी दौरान UP के एक सांसद ने कहा, ‘मैडम आपने वो मिसाल कायम की है, जैसा पहले महात्मा गांधी ने की है. आजादी के बाद जब देश में पहली बार सरकार बनी तो गांधी जी ने भी सरकार में शामिल होने से मना कर दिया था. तब गांधी जी के पास नेहरू थे. अब कोई नेहरू कहां है.’
मनमोहन सिंह के नाम का हुआ ऐलान
सोनिया जानती थीं कि उनके पास एक तुरुप का पत्ता था और वो थे मनमोहन सिंह. कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में प्रधानमंत्री पद के लिए मनमोहन सिंह के नाम का ऐलान कर दिया गया. पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने किताब ‘टर्निंग पॉइंट्सः ए जर्नी थ्रू चैलेंजेज’ में लिखा कि UPA की जीत के बाद राष्ट्रपति भवन ने सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री बनाने से संबंधित चिट्ठी भी तैयार कर ली थी, लेकिन जब सोनिया गांधी उनसे मिलीं और डॉ. मनमोहन सिंह का नाम आगे किया तो वह चकित रह गए थे. बाद में दोबारा चिट्ठी तैयार करनी पड़ी थी। मनमोहन सिंह ने 22 मई 2004 से 26 मई 2014 तक पहली बार प्रधानमंत्री पद संभाला।
राहुल गांधी के इंकार के बाद दूसरी बार पीएम बने मनमोहन सिंह
मनमोहन सिंह जवाहरलाल नेहरू के बाद भारत के पहले ऐसे प्रधानमंत्री बने, जिन्हें 5 साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद लगातार दूसरी बार पीएम बनने का मौका मिला. 2009 लोकसभा चुनाव में यूपीए को 262 सीटें मिलीं. एक बार फिर प्रधानमंत्री के नाम को लेकर अटकलों का दौर शुरू हुआ. बार राहुल गांधी का नाम पीएम पद के लिए चर्चा में आया. अ रूड लाइफ: द मेमॉयर बुक के लेखक के अनुसार मनमोहन सिंह दूसरी बार पीएम बनने को तैयार नहीं थे. उन्होंने सोनिया के सामने शर्त रखी थी कि बतौर प्रधानमंत्री जब कार्यकाल पूरा करने का मौका मिलेगा, तभी दोबारा पद संभालेंगे. इसके बाद राहुल ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि उनकी प्रधानमंत्री बनने की कोई इच्छा नहीं है. इसके बाद मनमोहन ने दोबारा (22 मई 2009- 17 मई 2014) प्रधानमंत्री पद संभाला.
Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक