रायपुर. राजधानी रायपुर के मंदिर हसौद स्थित द एग फीड्स में “एक पेड़ देश के नाम” अभियान का आगाज किया गया. इस अभियान के तहत 12 से 27 जुलाई तक 51,000 पेड़ लगाए जाएंगे. अभियान के पहले दिन कलेक्टर गौरव कुमार सिंह मुख्य अथिति के तौर पर शामिल हुए. विशेष अथिति के रूप में News 24 MP-CG / Lalluram.com के चेयरमैन नमित जैन और वरिष्ठ पत्रकार डॉ. हिमांशु द्विवेदी शामिल हुए.

राउंड टेबल इंडिया ने नीव फाउंडेशन (राउंड टेबल रेजोनेट 312) के सहयोग से एक विशाल वृक्षारोपण अभियान सफलतापूर्वक आयोजित किया. इस हरित पहल में गणमान्य व्यक्तियों, स्वयंसेवकों और समुदाय के सदस्यों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया. यह वृक्षारोपण अभियान पर्यावरणीय संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और राउंड टेबल इंडिया के “फ्रीडम थ्रू एजुकेशन” व “सस्टेनेबिलिटी” के विजन को आगे बढ़ाता है.

इस कार्यक्रम में राउंड टेबल इंडिया के नेशनल प्रेसिडेंट रचित बंसल शामिल हुए, जिन्होंने स्थानीय चैप्टर्स के प्रयासों की सराहना की और सामाजिक सेवा के प्रति राउंड टेबल इंडिया की प्रतिबद्धता को दोहराया. वहीं राष्ट्रीय कम्युनिटी कन्वेनर अरुल अग्रवाल, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष वीपुल भूतड़ा, रायपुर राउंड टेबल के चेयरमैन रजत खैतर भी मौजूद रहे.

इस मौके पर रायपुर कलेक्टर गौरव कुमार सिंह ने कहा कि आज की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में किसी और के लिए सोचना अपने आप में बड़ी बात है. सोचते तो सभी हैं, लेकिन अपने घरों से निकलकर दूसरों के लिए कुछ करना वास्तव में मायने रखता है. अक्सर लोग दूसरों को ज्ञान तो बहुत दे देते हैं, लेकिन जब खुद करने की बात आती है तो पीछे हट जाते हैं. हिमांशु जी की खासियत यह है कि वे कम शब्दों में बड़ी बात कह जाते हैं. आज यहां जितने लोग उपस्थित हैं, वे सभी कमाने वाले लोग हैं. पेड़ तो आप लगा रहे हैं, लेकिन सवाल यह है कि वे पेड़ बचे भी हैं या नहीं? उनमें कोई होमवर्क या फॉलोअप नहीं होता.

उन्होंने कहा कि मैंने आयोजकों से भी कहा कि आपने जितने पेड़ लगाए हैं, उनमें से कितने जीवित हैं? क्या हम उनकी सतत मॉनिटरिंग कर पाएंगे? यह समस्या केवल व्यक्तिगत प्रयासों तक सीमित नहीं है, सरकारी क्षेत्रों में भी यही स्थिति है. रायपुर में एक इंजीनियरिंग संस्थान इस दिशा में काम कर रहा है, और उसका काम अब पूरा हो चुका है.

वरिष्ठ पत्रकार हिमांशु द्विवेदी ने कहा कि “पेड़ का होना जरूरी है, पेड़ लगाना जरूरी है… लेकिन जितनी तत्परता हम पेड़ कटवाने के संदर्भ में दिखाते हैं, उतनी गंभीरता पेड़ बचाने के संदर्भ में नहीं दिखती. पिछले साल जितने पेड़ लगाए गए थे, उनमें से कितने पेड़ वास्तव में बच पाए, यह जानना भी जरूरी है. पैसा बचाने के संदर्भ के साथ पेड़ बचाने के लिए भी काम हो, यह कोशिश करें.”