रायपुर। बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में पहले छत्तीसगढ़ को बेहद पिछड़े राज्य की श्रेणी में रखा जाता था, लेकिन अब परिस्थितियां बदल गई है. विष्णुदेव साय की सरकार में लगातार स्वास्थ्य सुविधाओं को विस्तार पर जोर दिया जा रहा है, जिससे राज्य के हर नागरिक को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराई जा सकें. चिकित्सा के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ ने पिछले एक साल में जैसा विकास किया है, फ़िलहाल समूचे राष्ट्र में उसकी मिसाल नहीं है. इस प्रदेश के लिए एक वो दौर भी रहा है, जब छत्तीसगढ़ को कभी बीमारू राज्य का दर्जा दिया जाता था. आज पूरा देश उस छत्तीसगढ़ से विकास का मंत्र जानना चाह रहा है. स्वास्थ्य के मामले में सदा से उपेक्षित रहने वाले छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय सरकार के आने के बाद से पिछले एक साल से जो आमूलचूल परिवर्तन हो रहे हैं, उसका उल्लेख बार-बार और हर जगह हो रहा है.
ये सच है कि सेहत के बिना जिंदगी नहीं चलती, मगर छत्तीसगढ़ राज्य के शुरुआती समय में राज्य में स्वास्थ्य सुविधाएं न के बराबर थीं..अच्छे चिकित्सकों की भी बहुत कमी थी.. लोगों को गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए राज्य के बाहर जाना पड़ता था.. मेडिकल कालेज के नाम पर सिर्फ रायपुर ही था जिसमें गिनती के डाक्टर ही पास होकर निकलते थे और वो भी अच्छी सुविधा और सम्भावनाओं की तलाश में राज्य के बाहर निकल जाते थे.. आज छत्तीसगढ़ में 10 शासकीय मेडिकल कालेज हैं ,एमबीबीएस की 1460 सीटें हैं.. शासकीय मेडिकल कालेजों में 291 स्नातकोत्तर की सीटें भी बढ़ी हैं, जो राज्य को विशेषज्ञ चिकित्सक दे रहे हैं… राज्य के परिवेश युवाओं के रुझान को देखते हुए नियमों में संशोधन करते हुए छत्तीसगढ़ के सभी मेडिकल कालेजों में हिंदी माध्यम से पढ़ाई किए जाने की शुरूआत हो चुकी है..विष्णुदेव साय सरकार के एक वर्ष के दौरान ही छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत संविदा पदों पर 126 विशेषज्ञ चिकित्सक, 395 चिकित्सा अधिकारियों, 95 स्टाफ नर्स, 35 एएनएम, 29 लैब टैक्नीशियन, 54 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों के अलावा 149 अन्य पदों पर नियुक्तियां दी गयी हैं.. इन नियुक्तियों से ना सिर्फ़ राज्य को काबिल चिकित्सक मिल रहे हैं बल्कि प्रदेश की बेरोजगारी पर भी अंकुश लग रही है.
छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय की अगुवाई में अब राज्य के मेडिकल कालेजों की स्वशासी सोसायटियों को आवश्यक उपकरण, दवाइयां इत्यादि जीवन रक्षक चीजों के लिए मेडिकल कालेजों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ते, बल्कि वो खुद ही त्वरित निर्णय लेने में सक्षम हो चुके हैं क्यों कि पहले उन्हें एक लाख रूपए के उपर के अति आवश्यक खर्च करने के लिए राज्य शासन से अनुमति लेनी होती थी,मगर आज विष्णु के सुशासन में स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने इसे बढ़ाकर 2 करोड़ रूपए कर दी है… स्वशासी सोसायटियों को वित्तीय विकेंद्रीकरण की दिशा में शक्तियां आवंटित इसलिए की गई हैं ताकि राज्य की जनता को सही समय पर सही इलाज और सुविधा मिल सके.. प्रदेश सरकार की सजगता और दूर दृष्टि ने राज्य के रुग्ण जन को अद्भुत सुविधा दी है.
अपने पहले ही बजट में साय सरकार ने राज्य का स्वास्थ्य बजट 5461 करोड़ रूपए से 38.5 फीसदी बढ़ाते हुए 7563 करोड़ रूपए कर दिया.. पर्याप्त बजट होने से स्वास्थ्य सुविधाओं में जबरदस्त इजाफा हुआ और नतीजा ये रहा कि छत्तीसगढ़ में वर्ष 2003 मे जहां मातृ मृत्यु दर प्रति एक लाख में 269 थी वो आज घटकर 137 हो गयी है.. कहा जा सकता है राज्य में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार ने स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रखी है.
नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे-3 के अनुसार जहां वर्ष 2005-06 राज्य में संस्थागत प्रसव सिर्फ 15.3 फीसदी ही था.. आज उसमें लगभग 70 फीसदी इजाफा होकर 85.7% हो गया है.. सुखद आश्चर्य की बात है स्वास्थ्य सुविधाएं अपने साथ जागरूकता भी ला रही है.. वर्ष 2018 की तुलना में आज बस्तर में मलेरिया के मामलों में 50 फीसदी की कमी आ गयी है.. मलेरिया पर विजय पाना वो संग्राम है जो कभी अंतहीन दिखाई देता था… पिछले एक साल में चिकित्सकीय सेवा और सुविधाओं पर राज्य के जनता का विश्वास बढ़ा है ..अब 108 संजीवनी एंबुलेंस सेवा राज्य के लोगों के लिए वाकई संजीवनी साबित हो रही है क्यों कि पिछले एक साल में ही डायल 108 पर 9 लाख 73 हजार 681 आपातकालीन फोन काल्स आए और इनमें से 3 लाख 4 हजार 847 मरीज लाभान्वित भी हुए..छत्तीसगढ़ सरकार ने डिजिटल स्वास्थ्य प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए कई सार्थक कदम उठाए हैं.
साय सरकार में छत्तीसगढ़ राज्य के 77 लाख 20 हजार परिवारों को शहीद वीर नारायण सिंह आयुष्मान स्वास्थ्य योजना के माध्यम से 5 लाख रूपए तक का निःशुल्क इलाज मिल रहा है.. आने वाले समय में इस राशि को बढ़ाकर 10 लाख रूपए तक किए जाने का लक्ष्य है… मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना के अंतर्गत विशेष स्थितियों में इलाज के लिए 25 लाख रूपए तक की आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है..शहीद वीर नारायण सिंह आयुष्मान स्वास्थ्य योजना के तहत विष्णुदेव साय सरकार में अब तक लगभग 1200 लोगों को लगभग 45 करोड़ रूपए की आर्थिक सहायता प्रदान की जा चुकी है… सभी संभाग में एम्स की तर्ज पर सिम्स खोले जाने का निर्णय लिया गया है और इसकी शुरुआत भी बिलासपुर में हो चुकी है.. राज्य के पहले डिजिटल बजट में ही ये महत्वपूर्ण और जनहितकारी फैसला ले लिया गया था. इससे इस बात का पता मिलता है कि राज्य के मुखिया राज्य की जनता के स्वास्थ्य को कितनी प्राथमिकता से रखते हैं क्योकि ऐसा पहले किसी भी मुख्यमंत्री के शासन काल में नहीं हुआ.. धनवंतरी दिवस के अवसर पर बिलासपुर के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का लोकार्पण देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने हाथों से करके इस बात पर मुहर लगाई है कि वे भी राज्य में तेजी से हो रहे विकास से आल्हादित हैं.. इतना ही नही, राज्य सरकार रायपुर के डीकेएस अस्पताल में जल्द ही आर्गन ट्रांसप्लांट की सुविधा भी देने जा रही है. आर्गन ट्रांसप्लांट की सुविधा से सम्पन्न होते ही छत्तीसगढ़ भी उन राज्यों में शामिल हो जाएगा ,जहां लोग एडवांस ट्रीटमेंट के लिए जाना पसंद करते हैं.
जहां देश वर्ष 2047 तक पूर्ण विकसित होने का लक्ष्य को लेकर चल रहा है, वही छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार केंद्र सरकार के साथ कदम ताल करते हुए राज्य को भी विकास की उस शीर्ष बिंदु तक ले जाने में जुटी हुई है..छत्तीसगढ़ में हर उन योजनाओं को गति और बल दिया जा रहा है, जो राज्य को बहुत जल्द स्वस्थ,सक्षम और समृद्ध बना देगी…छत्तीसगढ़ में चिकित्सा शिक्षा की बढ़ती गुणवत्ता और बढ़ते स्वास्थ्य सुविधाओं को देखकर इस बात का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि राज्य के मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री इस विषय को लेकर कितने गंभीर हैं… उनके प्रयासों से छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सुविधाओं में लगातार विस्तार हो रहा है और गुणवत्तायुक्त चिकित्सा में सुधार आ रहा है…राज्य के मुखिया के दिशा निर्देश पर छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक नयी दिशा और सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ रहा है… निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि स्वास्थ्य सेवाओं के मजबूत ढांचे के साथ छत्तीसगढ़ 2047 तक भारत के सबसे विकसित राज्यों में शामिल हो जाएगा.. स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के परिणामस्वरूप राज्य के नागरिक न केवल स्वस्थ जीवन जी रहे हैं बल्कि प्रदेश के समग्र विकास में अपना योगदान भी दे पा रहे हैं.
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