ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म Amazon समेत टेक दिग्गज Microsoft को लेकर भारत के सेल्युलर ऑपरेटर एसोसिएशन ने आपत्ति जताई है. दरअसल, कुछ समय पहले तक Amazon के डिलीवरी अपडेट्स मोबाइल फोन पर SMS के जरिए प्राप्त होते थे, लेकिन अब कंपनियां इसके लिए Whatsapp, Telegram जैसे ऐप्स का इस्तेमाल कर रही हैं जो कि नियमों के विरुद्ध बताया गया है, और देश की सुरक्षा के लिए भी खतरा बताया गया है. आइए जानते हैं पूरा मामला.
सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) ने दूरसंचार सचिव नीरज मित्तल को लिखे पत्र में कहा, अमेजन और माइक्रोसॉफ्ट ग्राहकों को एसएमएस भेजने के लिए वॉट्सएप, टेलीग्राम व अन्य अनियमित प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर रही हैं. ये कंपनियां कानूनी रास्ते से एसएमएस भेजने से बच रही हैं. यह न केवल लाइसेंसिंग व सुरक्षा मानदंडों का घोर उल्लंघन है, बल्कि इससे सरकारी खजाने और विदेशी मुद्रा आय का भी नुकसान हो रहा है.
राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए पैदा हो सकता है खतरा
फॉर्च्यून-500 कंपनियां ओटीपी के जरिये प्रचार के लिए वॉट्सएप जैसे अंतरराष्ट्रीय ए2पी (व्यक्ति के लिए एप्लिकेशन) चैनलों का इस्तेमाल करती है. सीओएआई ने कहा, अगर इस प्रथा पर अंकुश नहीं लग तो यह ग्रे व अनियंत्रित तरीकों के इस्तेमाल को प्रोत्साहित कर सकता है. इससे राष्ट्रीय सुरक्षा का खतरा पैदा हो सकता है.
2,500 करोड़ का है कारोबारी एसएमएस का आकार
एक रिपोर्ट के अनुसार, 2022-23 में भारत की दूरसंचार कंपनियों के लिए कारोबारी एसएमएस का आकार 2,500 करोड़ रुपये का था. वॉट्सएप और टेलीग्राम जैसे प्लेटफॉर्म से संदेश भेजने पर कंपनियों को बड़ा नुकसान हो सकता है. पत्र में केंद्र से वॉट्सएप और टेलीग्राम को कारोबारी एसएमएस के लिए एक अवैध मंच घोषित करने की मांग की गई है.
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4.5 रुपये तक शुल्क
भारत में ऐसे कारोबारी संदेश भेजने पर 0.13 रुपये शुल्क लगता है. वैश्विक कारोबारी अलर्ट पर प्रति संदेश 4-4.5 रुपये शुल्क है. दूरसंचार कंपनियों का दावा है, टेक कंपनियां अंतरराष्ट्रीय कारोबारी संदेश शुल्क से बचने के लिए अवैध तरीके का इस्तेमाल कर रही हैं.
नियमित करने की मांग
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव से घरेलू कंपनियों ने आगामी दूरसंचार बिल में दूरसंचार सेवाओं की सीमा बढ़ाकर ऐसे संचार एप को नियमित करने की मांग की है. भारती एयरटेल के प्रबंध निदेशक गोपाल विट्टल ने भी हाल में इस पर रोक लगाने के लिए एक सामान्य नियम बनाने की मांग की थी.
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