सुप्रिया पांडेय, रायपुर. 80 प्रतिशत बीमारियों की सिर्फ एक वजह है और वो है मन का परेशान होना. अब आप सोच रहे होंगे कैसे. ये बात हम नहीं बल्कि डॉक्टर्स खुद कह रहे हैं. गणेश विनायक आई हॉस्पिटल के डॉक्टर अनिल के गुप्ता ने अपनी रिसर्च के आधार पर बी 3 बॉडी बियॉन्ड बॉडी लिखी है. किताब लेखन में डॉ शुभ्रा अग्रवाल गुप्ता का भी विशेष सहयोग रहा. जिसका सफल विमोचन योगी स्वामी महेश, पत्रकार के.के नायक की उपस्थिति में हुआ.
यह किताब स्वस्थ, सफल और संतुलित जीवन जीने का रास्ता बताती है. स्वास्थ्य के अर्थ, इसके आयाम, कारण और उपचार का राज भी किताब में ही छिपा है. डॉ अनिल के गुप्ता ने कहा, कि हम 21 वीं सदी में भी दो तरह की पेंडेमिक सिचुएशन से गुजर रहे हैं. एक कोविड और दूसरा sadd- stress, anxiety, depression, dieases. जिसका मुख्य कारण भागदौड़ भरी जिंदगी और हमारी चिंताएं है. हमें इसका हल ढूंढना होगा. हमें हमारे अस्तित्व को समझना होगा. हम स्वस्थ्य तभी रह सकते हैं, जब हम चिंतिन न हो.
आगे उन्होंने कहा, मैनें इस पर काफी रिसर्च किया और मैंने अपनी पत्नी के साथ मिलकर आयुर्वेदिक, नेचुरोपैथी, विज्ञान सभी चीजों पर रिसर्च कर ये किताब लिखी, जिसे पढ़ने से लोगों की लाइफस्टाइल में बदलाव जरूर होगा.
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पिछले 14 वर्षों से पारंपरिक चिकित्सा के एक नेत्र सर्जन और स्वतंत्र चिकित्सक होने के बाद मैंने पिछले पांच वर्षों से बीमारी के कारण रोगियों के दृष्टिकोण को बदलने के लिए एमबीबीएस (मन, शरीर, मस्तिष्क, आत्मा) की एकीकृत समग्र चिकित्सा प्रणाली को चुना है. यह मनुष्य के भौतिक और आध्यात्मिक पहलू देता है.
डॉ. गुप्ता ने कहा, यह पुस्तक आधुनिक चिकित्सा प्रणाली, योग, आयुर्वेद, क्वांटम भौतिकी और साइकोन्यूरोबिक्स ऊर्जा, आध्यात्मिकता, एनएलपी विज्ञान, विश्वास के विज्ञान और जीव विज्ञान की अवधारणा और बहुत कुछ का अनूठा मेल है.
योगी स्वामी महेश ने कहा, कि इस किताब का विमोचन बहुत ही शुभ दिन पर हो रहा है. इसमें शरीर की क्रियाओं के आध्यात्मिक डायवर्शन पर भी चर्चा है, इस पुस्तक में स्वास्थ्य के प्रति लोगों के दृष्टिकोण को बदलने की क्षमता है. यह पुस्तक स्वस्थ, सफल और संतुलित जीवन जीने का रास्ता बताती है. औषधीय प्रणाली के सच्चे एकीकरण के अर्थ के साथ-साथ मानव शरीर के लिए समग्रता की अवधारणा प्राप्त होगी.
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आगे उन्होंने कहा, यह पुस्तक उन लोगों के लिए है जो एक स्वस्थ, समृद्ध, आनंदमय समृद्ध, लेकिन उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने की इच्छा रखते हैं, “दृश्य भौतिक निकायों से परे अदृश्य शरीर” को देखते हुए. यह पुस्तक अच्छी सेहत पाने के लिए अध्यात्म और भौतिकवाद के बीच संतुलन बनाना सिखाती है. रोग और स्वास्थ्य एक सिक्के के दो पहलू हैं जहाँ एक समय में केवल एक ही पहलू देखा जा सकता है.