बिलासपुर. आचार संहिता लगने के बाद सभी सरकारी विभागों में अधिकारियों और कर्मचारियों की अवकाश व छुट्टी में प्रतिबंध लगा दिया गया है. इसके बावजूद सरकारी विभाग के कुछ कर्मचारी अपनी मर्जी के अनुसार ही पूरे विभाग में मनमानी छुट्टी मना रहे हैं. दशहरे की छुट्टियां तो वैसे आज यानि 19 अक्टूबर से है, लेकिन कुछ विभाग के कर्मचारी पिछले सप्ताह भर पहले से ही घर में आराम कर रहे है. पुरातत्व विभाग में इन दिनों विभाग पूरा खाली पड़ा हुआ है और इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है.

राज्य निर्वाचन आयोग के निर्देश पर कोई भी अधिकारी और कर्मचारी छुट्टी नहीं ले सकता, अगर किसी को कोई काम आ भी आ गया तो वह अपने अफसर को जानकारी देगा या फिर आवेदन देकर बाहर जा सकता है. लेकिन ऐसे कई विभाग है जहां इन नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है. जिला पुरातत्व संग्रहालय विभाग में काम करने वाले कर्मचारी ग्रेड 2 में पदस्थ कर्मचारी अजय चंद्राकर व भगत समेत कवर की मनमानी ज्यादा चल रही है. जिनको इस बात की जरा भी चिंता नहीं है कि निर्वाचन आयोग के नियमों का पालन किया जाए. लेकिन यहां का हाल तो बेहाल हो चुका है.

पिछले 3 दिनों से अजय चंद्राकर छुट्टी में है और कमर का पता नहीं जहां तक सवाल है भगत का तो वह भी किसी ना किसी बहाने बाहर ही रहता है. अगर देखा जाए तो इस ऑफिस में 5 लोग काम करने वाले हैं जिसमें तीन का पता नहीं बल्कि 2 लोग यहां पर काम करने वाले हैं. बाकी लोग निर्वाचन आयोग के नियमों को जेब में रखकर खुले खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं. इस वक्त ऑफिस सिर्फ 2 लोग ही मौजूद हैं और बाकी लोग खासकर कर्मचारी अजय चंद्राकर गायब हो जाने के बहाने निकले हैं और किसी तरह की कोई अनुमति नहीं लिया है ना ही आवेदन दिया है.

इस मामले में कलेक्टर ने सीधे कहा है कि बिना अनुमति छुट्टी लेने वालों पर कार्रवाई की जाएगी. ऐसे लोगों की सूची बनाई जा रही है. वहीं सबसे दिलचस्प बात यह रही कि रजिस्टर में एंट्री तक नहीं है. ऐसा लगने लगा है कि यहां बाबू का राज चल रहा है. जहां पर कलेक्टर भी पर नहीं मार सकते. इधर सहायक ग्रेड 3 के गजानंद यादव ने कहा कि साहब बाहर गए हैं. इसकी जानकारी नहीं दी गई है.

पुरातत्व संग्रहालय विभाग में आचार संहिता का पालन नहीं किया जा रहा है ना ही यहां पर किसी तरह का नियम कायदा कानून का पालन हो रहा है. अफसरशाही भी नहीं बल्कि बाबू राज चल रहा है. इसकी जानकारी शहर वालों को है और अभी कलेक्टर तक पहुंची है. अब ग देखना है कि निर्वाचन अधिकारी अनुपस्थित रहने वाले कर्मचारियों पर क्या कार्रवाई करते हैं या फिर बाबू का यह रवैया लगातार जारी रहेगा.