Operation Mahadev Inside Story: पहलगाम आतंकी हमले (Pahalgam terror attack)  के संदिग्ध तीन आतंकियों को भारतीय सेना ने जहन्नूम की सैर पर भेज दिया है। जी हां.. सेना ने हमले के संदिग्ध तीनों आतंकियों को ऑपरेशन महादेव के तहत पहलगाम आतंकी हमले के 96 दिन बाद मार गिराया है। तीनों आतंकियों को ट्रैक किया, घेरा और माउंट महादेव पर ढेर कर दिया। इन तीनों गुनहगारों के मारे जाने के साथ ही पहलगाम हमले में मारे गए 26 लोगों को आज वास्तविक में न्याय मिल गया है। मृतकों के परिजन सरकार से लगातार हमला करने वाले आतंकियों को मारने को ढूंढ कर मारने की मांग कर रहे थे।

श्रीनगर के लिडवास इलाके में सेना और पुलिस ने संयुक्त ऑपरेशन में तीनों आतंकियों को मार गिराया। लिडवास श्रीनगर का बाहरी और घना जंगलों वाला क्षेत्र है, जो त्राल से पहाड़ी रास्ते के ज़रिए जुड़ता है। इस इलाके में पहले भी TRF की आतंकी गतिविधियों की खबरें आती रही हैं। इस ऑपरेशन को सेना की चिनार कॉर्प्स लीड कर रही है, जिसने तीन आतंकियों के मारे जाने की पुष्टि की है।

पहलगाम हमले में नाम पूछकर आतंकियों ने मारी थी गोली

दरअसल 22 अप्रैल 2025 को आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के बायसरण वैली में हमला करते हुए 26 आम लोगों की हत्या कर दी थी। आतंकियों ने देश में पहली बार टारगेट किलिंग करते हुए लोगों से उनके धर्म पूछ-पूछकर हत्या की थी। आतंकियों के हमले में 25 हिंदुओं समेत 26 लोगों की मौत हुई थी। इस हमले को पांच आतंकियों ने अंजाम दिया, जो लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े प्रॉक्सी संगठन TRF (द रेज़िस्टेंस फ्रंट) के सदस्य बताए गए थे।

ऑपरेशन महादेव: मिशन की शुरुआत

पहलगाम हमले के बाद 7 मई 2025 को भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया था, जिसमें पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों पर सटीक हवाई हमले किए गए, लेकिन आतंकियों की जड़ें खत्म करने के लिए सेना ने लंबी रणनीति बनाई। इसका नाम पड़ा ऑपरेशन महादेव। यह ऑपरेशन 96 दिन तक चला और इसका मकसद उन आतंकियों को पकड़ना या मारना था, जो पहलगाम हमले में शामिल थे।

  • शुरुआत: 28 जुलाई 2025 को श्रीनगर के दाचीगाम इलाके में मुठभेड़ से ऑपरेशन महादेव का आखिरी चरण शुरू हुआ।
  • टीम: इसमें स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (SOG) और भारतीय सेना की 12 सिख लाइट इन्फैंट्री शामिल थी।
  • लक्ष्य: आतंकियों के छिपने के ठिकानों को नष्ट करना और मुख्य हमलावरों को ढूंढना।

मिशन की कहानी: कैसे हुआ आतंकियों का सफाया?

जासूसी और तैयारी: सेना ने ड्रोन और ह्यूमिंट (मानव खुफिया) से आतंकियों की लोकेशन ट्रैक की. दाचीगाम के जंगलों में आतंकियों के होने की खबर मिली, जहां वे छिपे थे।

मुठभेड़ शुरू: 28 जुलाई की सुबह सुरक्षाबलों ने इलाके को घेर लिया। आतंकियों ने गोलीबारी शुरू की, लेकिन सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया. मुठभेड़ 6 घंटे तक चली, जिसमें तीन आतंकी मारे गए।

हथियार बरामद: मुठभेड़ में AK-47, ग्रेनेड और IED (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) मिले. ये हथियार पहलगाम हमले में इस्तेमाल किए गए थे।

सफलता का दावा: सेना ने कहा कि पहलगाम हमले के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक का सफाया हो गया। बाकी बचे आतंकियों की तलाश जारी है।

क्या खास था ऑपरेशन में?

  • स्वदेशी तकनीक: सेना ने स्वदेशी ड्रोन और रडार का इस्तेमाल किया, जो जंगलों में छिपे आतंकियों को ढूंढने में मददगार रहा।
  • सटीकता: मुठभेड़ में नागरिकों को नुकसान से बचाने के लिए सावधानी बरती गई।  
  • लंबी रणनीति: 96 दिन तक चले इस ऑपरेशन में जासूसी, घेराबंदी और सटीक हमले शामिल थे।

ड्रोन और थर्मल इमेजिंग से सेना ने रात में भी आतंकियों की गतिविधियां देखीं. IED को निष्क्रिय करने के लिए रोबोटिक सिस्टम का इस्तेमाल हुआ।

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