नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने ‘ऑपरेशन मासूम’ के तहत चाइल्ड पोर्नोग्राफी (Child Pornography) के खिलाफ अपने विशेष अभियान के दौरान विभिन्न पुलिस स्टेशनों में 160 से अधिक मामले दर्ज किए हैं. वहीं 50 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि ऑपरेशन मासूम (किशोर यौन आक्रामक ऑनलाइन सामग्री का शमन) दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रेटेजिक ऑपरेशंस (आईएफएसओ) इकाई द्वारा शुरू किया गया था. इसने सभी जिलों में चाइल्ड पोर्नोग्राफी के खतरे को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. अधिकारी ने कहा कि यह अभ्यास अंतरविभागीय और अंतर एजेंसी समन्वय का एक अच्छा उदाहरण है.
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बाल अश्लील सामग्री से संबंधित उल्लंघनों का विवरण राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के माध्यम से आईएफएसओ में मिलता है, जिसका राष्ट्रीय गुम और शोषित बच्चों के लिए राष्ट्रीय केंद्र (NCMEC) के साथ समझौता ज्ञापन है. अधिकारी के अनुसार, NCMEC की स्थापना 1984 में संयुक्त राष्ट्र कांग्रेस द्वारा की गई थी. संगठन ने फेसबुक, इंस्टाग्राम और अन्य जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के साथ करार किया है. वे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की सामग्री को स्क्रॉल और क्रॉल करते हैं. जब भी उन्हें बच्चों के संबंध में गोपनीयता/अश्लील सामग्री का उल्लंघन करने वाली कोई सामग्री मिलती है, तो उसे लाल झंडी दिखा दी जाती है. वे उस उपयोगकर्ता के आईपी पते का विवरण प्राप्त करते हैं, जिसने अश्लील सामग्री अपलोड की थी.
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एनसीआरबी (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो) और नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइटेड चिल्ड्रेन (NCMEC) के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए. इस समझौता ज्ञापन के तहत एनसीएमईसी बच्चों के खिलाफ यौन आपत्तिजनक सामग्री के बारे में साइबर टिपलाइन शिकायतें एनसीआरबी को मुहैया करा रहा है, जिसे फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर साझा या अपलोड किया जा रहा है. इसके लिए एनसीएमईसी इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के साथ-साथ बड़े पैमाने पर जनता के साथ को-ऑर्डिनेशन में काम करता है. इस तरह की यौन आपत्तिजनक सामग्री को साझा करने या अपलोड करने वाले व्यक्ति के विवरण के साथ इन शिकायतों को एनसीएमईसी द्वारा एनसीआरबी को फॉरवर्ड किया जाता है, जो बाद में इसे राज्य नोडल एजेंसियों के साथ साझा करता है.
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साइबर क्राइम यूनिट (आईएफएसओ) स्पेशल सेल दिल्ली में नोडल एजेंसी है. आईएफएसओ इकाई में एनसीआरबी से मिले ब्योरों का विश्लेषण किसी संगठित गठजोड़ की पहचान के मकसद से किया जाता है. अधिकारी ने कहा कि IFSO इकाई ने सभी इनपुट का विश्लेषण किया और संदिग्धों की पहचान की. इसके बाद आगे आवश्यक कानूनी कार्रवाई करने के लिए संबंधित को सूचना दी गई.
जिलों और पुलिस स्टेशनों के अधिकार क्षेत्र के आधार पर एनसीएमईसी द्वारा प्रदान की गई साइबर टिपलाइनों को अलग करने के लिए एक टीम का गठन किया गया था. मामले दर्ज करने के लिए संबंधित पुलिस स्टेशनों और जिलों के साथ जानकारी साझा की गई और अभियान के दौरान 160 से अधिक मामले दर्ज किए गए. अधिकारी ने कहा कि पहले भी आईएफएसओ यूनिट ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी के खिलाफ एक अभियान और ऑपरेशन मासूम शुरू किया गया था, जिसमें एनसीएमईसी-एनसीआरबी से इनपुट लिया गया था और कई लोगों को गिरफ्तार किया गया था.
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