प्रमोद निर्मल, राजनांदगांव। धुर नक्सल प्रभावित मानपुर वनांचल अंतर्गत आदिवासी बाहुल्य ग्राम रेतेगांव स्थित प्राथमिक का संचालन बंद है. ग्राम रेतेगांव के ग्रामीणों ने शिक्षक की मांग लेकर यहां के शाला भवन की मेन गेट में ताला जड़ दिया है.

बता दें कि उक्त प्राथमिक शाला रेतेगांव में पदस्थ दो अध्यापकों में से एक शिक्षिका को करीब-करीब 10 साल पहले से सीतागांव स्थित आश्रम में अटैच करके रखा गया है. ऐसे में रेतेगांव प्राथमिक शाला का संचालन करीब एक दशक से केवल एकमात्र शिक्षक के भरोसे हो रहा है.

शाला में अध्ययनरत करीब 50 बच्चों को करीब करीब दस साल से एक मात्र शिक्षक ही जैसे तैसे पढ़ा रहे थे. एक मात्र शिक्षक के भरोसे आधी अधूरी शिक्षा अपने बच्चों को मिलने और अपने बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ होने से चिंतित ग्रामीण पालकों ने कई मर्तबा शासन प्रशासन के समक्ष अटैच की गई शिक्षिका को वापस रेतेगांव स्कूल में भेजने के लिए आवेदन निवेदन किया, लेकिन किसी भी जिम्मेदार अफसर ने ग्रामीण मनसा की सुध नहीं ली.

रेतेगांव स्कूल को एकमात्र शिक्षक के भरोसे ही छोड़ दिया गया. प्रशासनिक उदासीनता से परेशान ग्रामीणों ने करीब एक माह पहले रेतेगांव शाला भवन की गेट में ताला जड़कर यहां साला संचालन बंद कर दिया.

हालांकि इस दरमियान कोरोना काल के तहत भी साला का संचालन बंद रहा, लेकिन अब जबकि शासन के निर्देशानुसार स्कूलों का संचालन शुरू कर दिया गया है. इसके बावजूद भी प्राथमिक शाला रेतेगाव का संचालन अभी भी शुरू नहीं हुआ है.

शाला भवन में अभी भी ताला जड़ा हुआ है. ग्रामीणों ने साफ कर दिया है कि जब तक दो अध्यापकों की नियुक्ति यहा सुनिश्चित नही होती तब तक वे ताला नही खोलेंगे. वहीं यहां पदस्थ एक मात्र शिक्षक रोज स्कूल तो पहुंच रहे हैं, लेकिन बच्चों का स्कूल के बाहर शाला टाइम तक बैठकर इंतजार करके शाला से बैरंग वापस लौटने को मजबूर हैं. दूसरी ओर जिम्मेदार स्थानीय अफसरों से हमने बात करने की कोशिश की, लेकिन किसी ने अपना पक्ष रखने में दिलचस्पी नहीं दिखाई.