कुमार इंदर, जबलपुर। शहर में जर्जर बिल्डिंग्स में संचालित निजी अस्पताल मामले में हाईकोर्ट ने सख्त रवैया अपनाया है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि, जबलपुर सीएमएचओ यानी मुख्य स्वास्थ्य चिकित्सा अधिकारी ने आखिर नियम विरुद्ध तरीके से क्यों कई सारे अनफिट भवनों में निजी अस्पताल चलाने की मंजूरी दी है? चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने इस मामले में सरकार को जवाब पेश करने के लिए 4 सप्ताह दिया है, साथ ही कोर्ट ने टिप्पणी की है कि हर हाल में 4 सप्ताह के अंदर सरकार का जवाब दाखिल हो जाना चाहिए।

दरअसल लॉ स्टूडेंट की तरफ से याचिका लगाई गई थी जिसमें कहा गया था कि, सीएमएचओ ने जबलपुर के अंदर कई ऐसे निजी अस्पतालों को जर्जर भवनों में अस्पताल चलाने की अनुमति दे दी है जिससे लोगों की जान का खतरा बना हुआ है। याचिका में यह भी कहा गया है कि कई सारे निजी अस्पतालों में फायर सेफ्टी सिस्टम भी नहीं है उसके बावजूद अस्पताल चल रहे हैं ।

याचिका में बताया गया है कि, कई सारे निजी अस्पतालों की बिल्डिंगों का फिटनेस सर्टिफिकेट की फोटो कॉपी जमा कराई गई है उसकी ओरिजिनल कॉपी कहीं भी नहीं है । अतः इस मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया है । याचिका में सीएमएचओ द्वारा अवैध रूप से अस्पताल संचालन की अनुमति दिए जाने पर उनके उनके और उनके साथ शामिल अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की गई है।

Read more- Health Ministry Deploys an Expert Team to Kerala to Take Stock of Zika Virus