Delhi Assembly Session 2025: दिल्ली विधानसभा में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की अनुपस्थिति के कारण विपक्ष ने सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की, जिससे माहौल गर्म हो गया. विपक्ष के हंगामे के बीच, सरकार ने स्पष्ट किया कि विधानसभा के नियमों के अनुसार, किसी भी मुद्दे पर अन्य मंत्री उत्तर देने के लिए सक्षम हैं. विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री सदन में उपस्थित नहीं हैं, लेकिन सरकार के अन्य मंत्री इस विषय पर उत्तर दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को अनावश्यक रूप से राजनीतिक रूप दिया जा रहा है.

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सरकार ने विधानसभा में स्पष्ट किया कि “आप पूरक प्रश्न पूछें या हंगामा करें, लेकिन नियमों की समझ होना आवश्यक है. आप पिछले दस वर्षों तक सत्ता में रहे, फिर भी विधानसभा के नियमों की जानकारी नहीं रख पा रहे हैं. नियम 38 के अनुसार सदन में कुल 20 प्रश्न होते हैं, लेकिन विपक्ष का रवैया गैर-जिम्मेदाराना है.”

विधानसभा में आतिशी के बयान पर विवाद

विधानसभा में मंत्री आशीष सूद और विपक्षी नेता आतिशी के बीच तीखी बहस हुई. आतिशी ने सरकार के कार्यों पर सवाल उठाए, जिसके जवाब में मंत्री सूद ने कहा कि आतिशी स्वयं सदन में समय पर नहीं आतीं, फिर भी वे सरकार पर आरोप लगा रही हैं. उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार ने दिल्ली का बजट बढ़ाया है, जिससे विपक्ष को समस्या हो रही है. सूद ने यह भी याद दिलाया कि दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (DUSIB) की स्थिति पहले कैसी थी, और जब आतिशी की सरकार थी, तब उन्हें इसकी चिंता नहीं थी, लेकिन अब वे इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त कर रही हैं.

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अनधिकृत कॉलोनियों पर सरकार का जवाब

दिल्ली की अनधिकृत कॉलोनियों के विकास पर सदन में चर्चा हुई, जिसमें मंत्री आशीष सूद ने पूर्व सरकार के कार्यों पर सवाल उठाए. उन्होंने आंकड़ों के माध्यम से स्पष्ट किया कि पिछले दस वर्षों में 1797 अनधिकृत कॉलोनियों में केवल 1564 किमी सड़क का निर्माण हुआ, जिसका अर्थ है कि प्रत्येक कॉलोनी में मुश्किल से एक किलोमीटर सड़क का निर्माण हुआ. इसी प्रकार, 3499 किमी सीवर लाइन बिछाई गई, जिससे यह स्पष्ट होता है कि औसतन हर कॉलोनी में केवल दो किमी सीवर लाइन का ही कार्य हुआ.

मंत्री सूद ने उल्लेख किया कि यह पूर्ववर्ती सरकार की नाकामी का प्रमाण है. हम दिल्ली की अनधिकृत कॉलोनियों के विकास के प्रति पूरी तरह समर्पित हैं और इस दिशा में तेजी से प्रगति कर रहे हैं.

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अनधिकृत कॉलोनियों का मुद्दा पुराना

दिल्ली में अनधिकृत कॉलोनियों का विषय काफी समय से बहस का केंद्र बना हुआ है. इन क्षेत्रों में निवास करने वाले करोड़ों लोग बुनियादी सुविधाओं जैसे सड़क, पानी, सीवर और बिजली की कमी का सामना कर रहे हैं. पूर्व की सरकारों पर यह आरोप लगाया जाता रहा है कि उन्होंने केवल चुनावी लाभ के लिए इन कॉलोनियों को नियमित करने का आश्वासन दिया, जबकि वास्तविकता में जमीनी स्तर पर सुधार के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किए गए.