जगदलपुर। जिले में 31 मई तक लॉकडाउन लगाया गया है. कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए जिला प्रशासन ग्रामीण अंचलों में नए कोविड केयर सेंटर खोल रही है. अब जिला प्रशासन को ग्रामीणों के भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि उनके पंचायत में कोविड केयर सेंटर खोले जाने से संक्रमण फैलेगा. गांव के लोग कोरोना के चपेट में आ जाएंगे. ऐसे में वे कोविड केयर सेंटरों को अपने गांव में खोले जाने का पुरजोर विरोध कर रहे हैं. बस्तानार ब्लॉक के किलेपाल गांव में ग्रामीणों और शासकीय कर्मचारियों के बीच कोविड केयर सेंटर को लेकर जमकर विवाद हुआ. मारपीट तक की नौबत आ गई. बड़े अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद दोनों पक्षों को शांत कराया गया.
बस्तर जिले के ग्रामीण अंचलों में नए कोविड केयर सेंटर खोलना जिला प्रशासन के लिए काफी मुश्किल भरा साबित होता जा रहा है. ग्रामीणों में भ्रम है कि उनके गांव में कोविड केयर सेंटर खुलने से संक्रमण गांव में फैलेगा. कई ग्रामीण इस कोरोना महामारी के चपेट में आ जाएंगे. जिस वजह से इस कोविड केयर सेंटर का ग्रामीण जमकर विरोध कर रहे हैं.
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बस्तर कलेक्टर रजत बंसल का कहना है कि कोरोना के पहले लहर में ग्रामीणों ने अपने गांव के मुख्य द्वार को सील कर अपने आप को पूरी तरह से सुरक्षित कर लिया था, लेकिन दूसरी लहर के बाद देखा गया कि शहरी इलाकों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी बड़ी संख्या में लोग कोरोना की चपेट में आ रहे हैं. अन्य राज्यों में भी बढ़ते कोरोना के प्रकोप की वजह से कई स्थानीय ग्रामीण वापस अपने घर लौट रहे हैं.
इसे ध्यान में रखते हुए जिले के 7 ब्लॉकों में कोविड केयर सेंटर खोलने की कवायद प्रशासन कर रही है. हालांकि कई इलाकों में कोविड सेंटर खोल लिया गया है, लेकिन बस्तानार ब्लॉक और लौंहडीगुड़ा ब्लॉक में कोविड केयर सेंटर बनाने गए शासकीय कर्मचारियों को ग्रामीणों का भारी विरोध का सामना करना पड़ा और वापस लौटना पड़ा.
कलेक्टर रजत बंसल का कहना है कि ग्रामीण अंचलों में कोविड सेंटर खुले इसके लिए प्रशासन की टीम भी पूरी तरह से लगी हुई है. जिले के ऐसे इलाकों हैं, जहां ग्रामीण इस कोविड केयर सेंटर का विरोध कर रहे हैं. ग्रामीण इलाकों में सरपंच, कोटवार अन्य जनप्रतिनिधि और नागरिकों से बातचीत कर लगातार प्रशासन की टीम उन्हें समझाने की कोशिश कर रही है. जिले के कुछ ब्लॉकों में ग्रामीणों से बातचीत करने के बाद सेंटर खोल लिए गए हैं, लेकिन एक दो ब्लॉक में अभी भी प्रशासन को ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है.
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