रायपुर। विधानसभा में स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के चंदूलाल मेडिकल कॉलेज अधिग्रहण विधेयक प्रस्तुत किया. इस पर बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि सिंहदेव जी आपसे ये उम्मीद नहीं थी. जवाब में उन्होंने कहा कि आप लोग बहुत जय-वीरू, जय-वीरू कहते थे. अब जय-वीरू साथ दिखाई दे रहे हैं तो आप लोगों को तकलीफ़ हो रही है. मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी, और अब दूसरा उसे लागू करने में सहयोग कर रहा है.

इसके पहले चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज अधिग्रहण विधेयक 2021 पर बीजेपी विधायकों ने अपनी आपत्ति जताई. पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि बजट में ये स्पष्ट हो गया है कि राज्य की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, इसके बाद भी कर्ज में डूबे मेडिकल कॉलेज को अधिग्रहण किए जाने की योजना कैसे बन गई? दुर्ग में छह सौ बिस्तर का इतना बड़ा ज़िला अस्पताल है, उसे अपग्रेड करने में कितना वक़्त लगता. उद्देश्य और कारण में ये बताया गया है कि मेडिकल कॉलेज के वर्तमान मालिकों ने सरकार से अधिग्रहण का आग्रह किया था. छात्रहित इसमें कहीं नहीं दिख रहा है.

उन्होंने कहा कि 12 अप्रैल 2018 को एमसीआई ने चंदूलाल मेडिकल कॉलेज को मान्यता नहीं देने की सिफ़ारिश की थी. एमसीआई ने रिपोर्ट दिया कि 2015-16 के भर्ती छात्रों के लिए ही वैध है और अगले बैच की अनुमति नहीं दिए जाने की बात कही थी. जब 2015-16 के बाद कोई छात्र ही नहीं आया, वहाँ के 55 छात्रों ने उच्च न्यायालय में जाकर याचिका लगाकर कहा कि हमें दूसरे मेडिकल कालेज शिफ़्ट किया जाये. ये स्थिति इस कालेज की है. चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज का कुल क़र्ज़ 125 करोड़ रुपये है. इस मेडिकल कॉलेज पर धोखाधड़ी का आरोप लग चुका है.

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस मेडिकल कॉलेज का अधिग्रहण किया जा रहा है, वह पहले ही बिक चुका है, रुंगटा ग्रुप ने इसे 35 करोड़ में ख़रीदा था, ये मामला अभी न्यायालय में विचाराधीन है. मेडिकल कॉलेज का मूल्यांकन 20 से 22 करोड़ बस है. नेहरूनगर स्थित कार्पोरेट हॉस्पिटल के नाम से बैंक लोन लिया और कचंदूर में मेडिकल कॉलेज के लिए ज़मीन ली, जबकि कार्पोरेट हॉस्पिटल की ज़मीन सरकारी है. यानी सरकारी ज़मीन को ही सरकार अधिग्रहित कर रही है.

उन्होंने कहा कि नगर निगम की अनुमति के बिना बोर्ड ऑफ डायरेक्टर ने मेडिकल कॉलेज की ज़मीन ख़रीदने के लिए बैंक में बंधक रख दिया. ये पूरा मामला न्यायालय प्रक्रिया में फंस कर रह जायेगा. नए मेडिकल कॉलेज के लिए 75 फ़ीसदी हिस्सा केंद्र सरकार देती है. सरकार को मेडिकल कालेज खोलना ही है तो कई मेडिकल कॉलेज खोल सकती है.

कांग्रेस विधायक मोहन मरकाम ने कहा कि छात्र-छात्राओं की चिंता सरकार ने की है. राज्यपाल ने भी सरकार को निर्देश दिया था कि छात्रों की चिंता सरकार करे. नये मेडिकल कॉलेज के लिए पाँच सौ करोड़ रुपये लगते हैं. इस विधेयक के पारित होने के बाद मेडिकल कॉलेज का पूरा प्रशासनिक नियंत्रण, पूरी सम्पत्ति सरकार के पास आ जाएगा.

डायरेक्टरों के हितों को पूरा करने लाए विधायक

बीजेपी विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि एक कम्पनी के डायरेक्टरों के हितों को पूरा करने के लिए ये विधेयक लाया गया है. छत्तीसगढ़ में पचास से ज़्यादा इंजीनियरिंग कॉलेज बंद हो रहे हैं. इस ओर सरकार का ध्यान नहीं है. क्या कोई आकर कहेगा कि मेरी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है तो क्या सरकार उद्योग का अधिग्रहण कर लेगी? सरकार को छात्र हित में सम्पत्ति को ज़ब्त करने का अधिकार सरकार के पास है. इस विधेयक को लाने का क्या औचित्य? अधिग्रहण को लेकर कल से आपके पास ढेरों आवेदन आयेंगे. वित्तीय ज्ञापन में इस बात का ज़िक्र होना चाहिये कि कितना खर्च अधिग्रहण में आएगा.

राज्यपाल की अनुमति से ला रहे विधेयक

स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि राज्यपाल की अनुमति से हम सदन में ये विधेयक ला रहे हैं. ये उचित विधेयक लाया गया है. मुख्यमंत्री ने जनहित में ये घोषणा की थी. हर ज़िले में मेडिकल कॉलेज खुले ये देश की परिकल्पना है. फ़िलहाल हमने विचार किया है कि सभी लोकसभा सीटों में मेडिकल कॉलेज खोले. नौ लोकसभा सीटों में ये आ गया है. दो बाक़ी है. एक मेडिकल कॉलेज की स्थापना में काम से काम पांच साल लग जाते हैं.

कॉलेज चलाने के लिए रखे 140 करोड़

उन्होंने कहा कि चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट्स कई बार आकर मिले. सरकार का लक्ष्य है कि छत्तीसगढ़ के नागरिकों के लिए, यहां के सर्वहारा वर्ग, किसान वर्ग, ग़रीब वर्ग को शासकीय उच्च स्तरीय चिकित्सीय लाभ दिलाने के लिए मेडिकल कॉलेज स्थापित किए जाने के लक्ष्य को लेकर चल रहे हैं. चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज में हम अभी से काम शुरू कर सकते हैं. एमसीआई से इस मेडिकल कालेज को 150 सीट सेंशन है. इसकी मान्यता ख़त्म नहीं हुई है. ज़ीरो ईयर घोषित की जाती है, मान्यता ख़त्म नहीं होती. ये चालू संस्था है. इसे हमें केवल ज़ीरो ईयर के दायरे से बाहर निकालना है. कम समय में इससे बेहतर विकल्प है ही नहीं. 140 करोड़ रुपये एक साल में इस संस्था को चलाने का अनुमान हमने रखा है.

अधिग्रहण में पारदर्शिता नहीं, सारी चीजें अंधेरे में

नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज के अधिग्रहण में पारदर्शिता नहीं है. अभी सारी चीजें अंधेरे में हैं. जो मेडिकल कॉलेज के वर्तमान कर्मचारी हैं, उन्हें लेकर शासन ने कहा है कि अधिग्रहण के बाद वे लोग सरकार की ज़िम्मेदारी नहीं होंगे. जोगी कांग्रेस के विधायक देवव्रत सिंह ने अधिग्रहण विधेयक का समर्थन करते हुये कहा कि जब केंद्र सरकार ने कई घाटे के बैंकों, देना बैंक का राष्ट्रीयकरण किया था, तब हमसे तो नहीं पूछा था. इस पर विधायक बीजेपी विधायक शिवरतन शर्मा ने पूछा कि आपका पैसा तो नहीं डूबा न. इस टिप्पणी पर सदन में हंगामा जमकर हंगामा हुआ.

विधेयक के समर्थन में कांग्रेस विधायक विनय जायसवाल ने कहा कि इस अधिग्रहण से 150 चिकित्सक छत्तीसगढ़ को हर साल मिलेंगे. कांग्रेस की सरकार हमेशा लोकहित में है, बच्चों के हित को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है.

अधिग्रहण छात्रों के लिए नहीं स्वामियों के लिए

बीजेपी विधायक शिवरतन शर्मा ने कहा, मेडिकल कॉलेज के कर्मचारियों को शासकीय सेवा में नहीं लिए जाने की बात कही गई है, लेकिन इससे पहले जब भी अधिग्रहण हुआ है, कर्मचारियों को शासकीय सेवा में लिया गया है. इस सरकार ने एक भी संस्था बनाने का काम नहीं किया. कुछ भी नया करने में क्या ये सरकार सक्षम नहीं है? चंदूलाल चंद्राकर के पोते ही इस अधिग्रहण के ख़िलाफ़ कोर्ट गये हैं. ऐसे में छात्रहित के नाम पर इस अधिग्रहण के बहाने क्या राजनीतिक फ़ायदा सरकार ले रही है? यह अधिग्रहण विद्यार्थियों के लिए नहीं उनके स्वामियों के लिए कर रहे हैं, यह विधेयक चुपचाप पास हो जाता तो स्वामियों को दोगुना भुगतान होता.

इस ‘जय’ का वैसा हाल नहीं होगा

चर्चा के दौरान भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा ने स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव से कहा कि मैं आपको जय-वीरू की जोड़ी बोलूं, या वीरू-गब्बर बोलूं, आपको पता है न की जय का क्या हश्र हुआ. इस पर टीएस सिंहदेव ने टिप्पणी करते हुये कहा कि इस जय का वैसा हाल नहीं होगा.