Opposition Parties Against SIR: चुनाव आयोग (election Commission) ने आज (28 अक्टूबर) से देश के 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी SIR शुरू कर दिया है। स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन का उद्देश्य वोटर लिस्ट को अपडेट करना है। इस दौरान नए वोटरों के नाम जोड़े जाएंगे और वोटर लिस्ट में सामने आने वाली गलतियों को सुधारा जाएगा। वहीं चुनाव आयोगकी घोषणा के कुछ घंटे बाद ही विवाद शुरू हो गया है। इलेक्शन कमिशन के इस फैसले के खिलाफ विपक्ष लामबंद हो गया है। आयोग के फैसले के बाद DMK ने ऑल पार्टी मीटिंग बुलाई है। जबकि TMC-कांग्रेस ने एकतरफा फैसला करार दिया है।
सबसे पहले विरोध का झंडा तमिलनाडु में उठा है। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की अगुवाई वाली डीएमके सरकार ने इस प्रक्रिया को राज्य के लोगों के मतदान अधिकार छीनने की साजिश बताया है। इस मुद्दे पर 2 नवंबर को सर्वदलीय बैठक बुलाने का फैसला किया है। पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी टीएमसी और केरल की सीपीआई(एम) सरकार ने भी चुनाव आयोग पर तीखे प्रहार किए है। कांग्रेस ने भी चुनाव आयोग की मंशा पर सवाल उठाया है।
डीएमके और उसके सहयोगी दलों ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह कदम लोकतंत्र को कमजोर और बदनाम करने की कोशिश है। उनका कहना है कि नवंबर-दिसंबर में उत्तर-पूर्व मानसून के दौरान इतने बड़े पैमाने पर यह काम करना बेहद कठिन होगा।
पार्टी गठबंधन ने कहा कि हम यह नहीं कह रहे कि वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण नहीं होना चाहिए, लेकिन इसे इतनी जल्दबाजी में करना गलत है। जब राज्य में अप्रैल में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, तब यह कदम उचित नहीं है। डीएमके ने आरोप लगाया कि बिहार में SIR के दौरान मुसलमानों, दलितों और महिलाओं को निशाना बनाया गया था। बयान में कहा गया, “तमिलनाडु ऐसी किसी साजिश को सफल नहीं होने देगा। हम मिलकर इसका विरोध करेंगे।

पश्चिम बंगाल और केरल सरकार ने भी साधा निशाना
पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी टीएमसी और केरल की सीपीआई(एम) सरकार ने भी चुनाव आयोग पर तीखे प्रहार किए है। टीएमसी सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने कहा कि बिहार में हुआ SIR तो बस ट्रायल था। असली निशाना बंगाल है। जनता कुछ महीनों में आयोग को जवाब देगी, जो अब पूरी तरह पक्षपाती हो चुका है। सीपीआई(एम) के वरिष्ठ नेता एमए बेबी ने कहा कि आयोग का फैसला एकतरफा और जल्दबाजी भरा है। उन्होंने आरोप लगाया कि जब सुप्रीम कोर्ट बिहार में SIR की वैधता पर सुनवाई कर रहा है, तब इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाना लोकतांत्रिक मानकों का अपमान है।
कांग्रेस ने भी चुनाव आयोग की मंशा पर उठाए सवाल
कांग्रेस ने भी चुनाव आयोग की मंशा पर सवाल उठाए। पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि बिहार में SIR की खामियों को सुप्रीम कोर्ट तक को दखल देकर सुधारना पड़ा। अब वही प्रयोग दूसरे राज्यों में दोहराया जा रहा है। यह स्पष्ट है कि चुनाव आयोग अब बीजेपी के नियंत्रण में काम कर रहा है।
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