रायपुर। जनता काँग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रदेश अमित जोगी ने कहा कि मेरे और मेरी पत्नी की जाति का फैसला भूपेश बघेल की अदालत में नहीं, बल्कि जनता की अदालत में ही होगा. अगर 17 अक्टूबर को नामांकन पत्रों की छानबीन के दौरान मुख्यमंत्री के इशारे पर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में काम कर रहे जिला निर्वाचन अधिकारी डोमन सिंह के द्वारा मेरी या मेरी पत्नी का नामांकन पत्र निरस्त किया जाता हैं, तो मैं तत्काल उपचुनाव की पूरी प्रक्रिया को रद्द करवाने और सभी दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्यवाही के लिए न्यायालय की शरण में जाऊंगा. छत्तीसगढ़ की ढाई करोड़ जनता की अदालत में भी मैं अपने पिता के स्वर्गवास के बाद मेरे परिवार के साथ हो रहे सौतेले व्यवहार को लेकर उनसे न्याय माँगने जाऊंगा.

अमित जोगी ने कहा कि सरकार की बहुत बड़ी गलतफहमी है कि मेरे पिता के स्वर्गवास के बाद मैं अनाथ और असहाय हो गया हूँ. मेरे सिर पर मरवाही के ढाई लाख लोगों का पांच लाख हाथ लोगों का आशीर्वाद है और इसी डर से सरकार ने वहां अपनी पूरी ताकत झोंक दी है.

अमित जोगी ने जानकारी दी कि उनके द्वारा सर्वोच्च न्यायलय में लगाई गई याचिका पर आज रेजिस्ट्रार जेनरल ऑफ़ इंडिया के समक्ष प्रारम्भिक सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान छत्तीसगढ़ सरकार, प्रदेश छानबीन समिति, जिला स्तरीय जाति प्रमाण पत्र सत्यापन समिति और कलेक्टर GPM के द्वारा शीघ्र सुनवाई करने के विरुद्ध चार अलग-अलग आपत्ति आनन-फ़ानन दर्ज की गई है. इससे यह स्पष्ट है कि सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में मामले की सुनवाई में विलंब करने में एड़ी चोटी एक कर रही है. अमित जोगी ने कहा कि इन सबके बावजूद मुझे न्यायपालिका में पूरी आस्था है और हमेशा की तरह वो मेरे साथ कुछ ग़लत नहीं होने देगी.

चूंकि मुझे अब तक राज्य छानबीन समिति के द्वारा ना तो सुनवाई का मौका दिया गया है और ना तो मेरे जाति प्रमाण पत्र को निरस्त किया गया है, इसलिए मैं वैधानिक रूप से मरवाही विधानसभा में चुनाव लड़ने का पूरा अधिकार रखता हूँ. वैसे भी मेरे पिता के जाति प्रमाण निरस्त करने के भूपेश सरकार के फ़ैसले पर पहले से ही उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी है जिसका उनके उत्तराधिकारी होने के नाते मुझे भी लाभ मिलेगा.

उन्होंने ने यह भी बताया कि मुंगेली जिला स्तरीय जाति प्रमाण पत्र सत्यापन समिति के द्वारा भी डॉ ऋचा जोगी का जाति प्रमाण पत्र अब तक निरस्त नहीं किया गया है. अमित जोगी ने कहा 24 सितंबर के बाद जो नियमों में ग़ैर क़ानूनी संशोधन किया गया है, इसके अंतर्गत भी कलेक्टर को जाति प्रमाण पत्र निरस्त करने का अधिकार नहीं है. वह केवल जाति प्रमाण पत्र को अस्थाई रूप से निलंबित ही कर सकता है और माननीय सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा पारित अनेकों फैसलों के अनुसार जब तक उच्च स्तरीय छानबीन समिति के द्वारा किसी का जाति प्रमाण पत्र निरस्त नहीं होता, तब तक उस व्यक्ति से उसका चुनाव लड़ने का मौलिक अधिकार नहीं छीना जा सकता है.