नई दिल्ली। केजरीवाल सरकार अब स्कूलों में उन्हीं बच्चों को मिड-डे-मील देगी, जिनकी 100 फीसदी अटेंडेंस स्कूल के रजिस्टर में दर्ज होगी. इस फैसले के बाद दिल्ली कांग्रेस ने कहा कि दिल्ली सरकार के विद्यालयों में 13 लाख छात्र पढ़ते हैं, जिनमें सीधा प्रभाव स्कूल के उन गरीब छात्रों पर पड़ेगा, जिनके पास खाने के लिए पौष्टिक भोजन का अभाव है और पूरी तरह मिड-डे मील पर निर्भर हैं. प्रदेश कांग्रेस के नेता अनिल भारद्वाज ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने 2006 में मिड-डे मील योजना की शुरुआत की थी, जिसे 2013 में खाद्य सुरक्षा कानून के तहत मिड-डे मील को सुनिश्चित करवाने का काम किया था.

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प्रदेश कांग्रेस के मुताबिक, सरकार ने एक सुनियोजित षडयंत्र के तहत सूखा राशन और मिड-डे मील योजना को बंद कर दिया है. दिल्ली में गरीब लोगों को सूखा राशन अन्य योजनाओं के तहत मिलता है, जबकि स्कूलों में मिड-डे मील योजना खाद्य सुरक्षा कानून के तहत गरीब छात्रों का अधिकार है, केजरीवाल उसे छीन नहीं सकते.

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दरअसल दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 14 फरवरी से पहली से लेकर आठवीं तक के बच्चों की भी सामान्य कक्षाएं शुरू होने के बावजूद स्कूलों में पका हुआ मिड डे मील नहीं दिया जा रहा था. इसके बाद दिल्ली रोजी-रोटी अधिकार अभियान नाम के संगठन ने दिल्ली सरकार और तीन नगर निगमों को कानूनी नोटिस भेजा था.