रायपुर- विवादित आईपीएस अधिकारी एसआरपी कल्लूरी की नियुक्ति को लेकर उठ रहे सवालों के बीच गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा है कि यदि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यह जिम्मेदारी सौंपी है, तो कुछ सोच समझकर ही सौंपी होगी. उन्होंने कहा कि कुछ फैसले सामान्य प्रशासन विभाग के होते हैं, इसमें गृह विभाग का हस्तक्षेप नहीं होता. दरअसल एसआरपी कल्लूरी की नियुक्ति भले ही गृह विभाग के अधीन हुई हो, लेकिन अखिल भारतीय सेवा स्तर के अधिकारियों के तबादले की मुख्यमंत्री की अनुशंसा पर किए जाते हैं. यही वजह है कि कल्लूरी की नियुक्ति पर गृहमंत्री से रायशुमारी नहीं हुई.

एसआरपी कल्लूरी की नियुक्ति पर विवाद उठने की सबसे बड़ी वजह यह है कि पिछली सरकार में बस्तर आईजी रहते हुए उनकी कार्यप्रणाली पर कांग्रेस सवाल उठाती रही है. कल्लूरी पर नक्सलियों के नाम पर फर्जी आत्मसमर्पण कराए जाने से लेकर फर्जी इनकाउंटर कराए जाने जैसे गंभीर आरोप भी कांग्रेस लगाती रही है. कल्लूरी की विवादित छवि को लेकर देशभर में मचे हंगामे के बाद ही पिछली सरकार ने उन्हें बस्तर आईजी के पद से हटाकर पुलिस मुख्यालय अटैच कर दिया था. ऐसे में सत्ता में काबिज होने के बाद भूपेश सरकार में उन्हें ईओडब्ल्यू और एसीबी जैसी अहम जिम्मेदारी दिए जाने से हर कोई हैरान है. सबसे बड़ी बात यही है कि इस फैसले से सरकार के भीतर ही आम राय नहीं है. ज्यादातर नेता इस फैसले से नाखुश है. 
 
विधानसभा में सदन के बाहर मीडिया से बातचीत के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ.रमन सिंह ने भी एसआरपी कल्लूरी की नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए भूपेश सरकार पर हमला बोला और कहा कि-
ये अद्भूत सरकार है. सरकार का टीम वर्क बिखर कर सामने आ गया है. गृहमंत्री को यही नहीं मालूम की उसकी जानकारी के बगैर अधिकारी की नियुक्ति होती है. जिस अधिकारी के बारे में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने न जाने क्या-क्या कहा? कैसे-कैसे कमेंट किए? उन्हें ही आज यू टर्न लेना पड़ रहा है. जैसे-जैसे प्याज के छिलके उतरते हैं, वैसे-वैसे इस सरकार की एक-एक परत उतरेगी. हमारी सरकार के वक्त कल्लूरी को हटाने के पीछे की वजह से क्या कांग्रेस सहमत नहीं थी? उन कारणों को लेकर क्या सहमत नहीं थे? आज सरकार का दायित्व है. मुख्यमंत्री और गृहमंत्री के बीच मतभेद होंगे, तो सरकार कैसे चलेगी. 
हालांकि एसआरपी कल्लूरी की नियुक्ति को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अपनी ही दलील है. बघेल कहते हैं कि –
 
सवाल घोड़े और घुड़सवार का है. रमन सिंह अधिकारियों के भरोसे चलते थे और अधिकारियों से कैसा काम लिया जाता है, यह हम लोगों को बेहतर आता है. ये बात वो अच्छे ढंग से समझ लें. 15 साल तक चंद मुठ्ठी भर लोगों के साथ सरकार चलाते रहें, लेकिन वह सब इस सरकार में नहीं होगा.