नीरज काकोटिया, बालाघाट। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव (Vidhansabha Chunav) में कमजोर सीटों पर समय से पहले टिकट की घोषणा करना BJP के लिए महंगा सौदा साबित होता जा रहा है। 39 सीटों मे से अधिकतर सीटों पर बीजेपी को कार्यकर्ताओं के ही विरोध का सामना करना पड़ रहा है। बालाघाट जिले की लांजी विधानसभा सीट पर इसका अच्छा-खासा असर देखने को मिल रहा है। टिकट कटने से नाराज पार्टी के पूर्व विधायक ही पार्टी आलाकमान के निर्णय पर सवालियां निशान लगा रहे है।  

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बता दें कि बालाघाट जिले की लांजी विधानसभा छेत्र से बीजेपी ने राजकुमार कर्राहे को भाजपा का अधिकृत प्रत्याशी बनाया है। वहीं इस विधानसभा छेत्र मे भाजपा प्रत्याशी घोषित होने के बाद विरोध के स्वर भी उठने लगे है। जहां पूर्व विधायक रमेश भटेरे ने फेसबुक में एक पोस्ट डालकर अपना दर्द बयां किया था, वहीं आज लांजी क्षेत्र के किरनापुर के कांद्रीकाला में आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन में पूर्व विधायक रमेश भटेरे ने भाजपा से प्रत्याशी घोषित हुए राजकुमार कर्राहे को भगोड़ा और गद्दार बताया। उन्होंने संगठन को लेकर कहा कि प्रत्याशी तो बदलना ही होगा, नही तो पार्टी कार्यकर्ता कहां से लाएगी।  

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इससे यह तो साफ तौर से जाहिर होता है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए रमेश भटेरे मुश्किल खड़ा कर सकते है। लांजी विधानसभा से राजकुमार कर्राहे को भाजपा का अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया गया है। राजकुमार कर्राहे ने पूर्व में भाजपा से नाराज होकर आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया था।  वहीं कल उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कि है। जिसके बाद पूर्व विधायक रमेश भटेरे की नाराजगी कहें या दर्द सोशल मीड़िया में दिखाई दिया। बता दें कि पूर्व विधायक रमेश भटेरे लांजी विधानसभा से भाजपा से टिकट के प्रबल दावेदार थे। लेकिन भाजपा ने उनको प्रत्याशी न चुनते हुए राजकुमार कर्राहे को चुना है । जिससे उनके समर्थको में एक दिन पहले भारी आक्रोश भी दिखाई दिया था। 

आज आयोजित इस कार्यकर्ता सम्मेलन कार्यक्रम मे पूर्व विधायक रमेश भटेरे ने मीडिया से चर्चा करते हुए राजकुमार कर्राहे को भगोड़ा और गद्दार बताया और कहा कि संगठन ने ऐसे लोगो को टिकट दे दिया है जिसका जनाधार नही है। वह न ही संगठन का है और न ही जनता का। यदि संगठन ने टिकट में बदलाव नही किया तो बिना कार्यकर्ताओं के चुनाव केसे लड़ेगी,  क्योंकि लांजी किरनापुर क्षेत्र की जनता व कार्यकर्ता उनके साथ है। अब देखने वाली बात यह होगी कि पूर्व विधायक रमेश भटेरे और उनके समर्थको की नाराजगी का आगामी चुनाव में क्या असर होता है।

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