प्रदीप गुप्ता, कवर्धा। दुर्ग में आयोजित एक धार्मिक आयोजन में अधोक्षजानंद तीर्थ को गोवर्धन मठ, पुरी पीठ के शंकराचार्य के रूप में प्रचारित करने का विरोध तेज होते जा रहा है. कवर्धा में आदित्यवाहिनी, धर्मसंघ पीठ परिषद और आनंदवाहिनी ने इस घटनाक्रम से सनातन धर्म की मर्यादा आहत होने की बात कही.
आदित्यवाहिनी, धर्मसंघ पीठ परिषद और आनंदवाहिनी ने संयुक्त प्रेसवार्ता में जामुल कार्यक्रम का खुलासा किया गया. प्रदेश उपाध्यक्ष अवधेश नंदन श्रीवास्तव व जिला अध्यक्ष आशीष दुबे ने बताया कि अधोक्षजानंद तीर्थ को जानबूझकर शंकराचार्य बताकर मंच पर बैठाया गया.

अवधेश नंदन श्रीवास्तव ने बताया कि मामले के सामने आते ही आदित्यवाहिनी ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कर प्रदेशभर में विरोध अभियान चलाया. दबाव के चलते आयोजन समिति ने गलती स्वीकारते हुए अधोक्षजानंद तीर्थ को कार्यक्रम से दूर रहने का आग्रह किया, जिसे उसने स्वीकार कर लिया.

लेकिन मामला यहीं खत्म नहीं होता. श्रीवास्तव ने सख्त शब्दों में कहा कि अभी तक अधोक्षजानंद तीर्थ के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की गई है, जो कि गंभीर चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि केवल माफीनामा नहीं, बल्कि फर्जी धार्मिक पहचान के आधार पर धर्म की पवित्रता से खेलने वालों पर कानून के तहत कठोर दंड मिलना चाहिए.

उन्होंने बताया कि गोवर्धन मठ पुरी पीठ के वास्तविक शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती हैं, जिन्हें न्यायालयों से मान्यता प्राप्त है. इसके साथ ही आदित्यवाहिनी ने केंद्र और राज्य सरकार से मांग की है कि ऐसे फर्जी शंकराचार्यों और नकली धार्मिक गुरुओं के खिलाफ सख्त कानून बनाए जाएं, ताकि भविष्य में कोई धर्म की गरिमा को ठेस न पहुंचा सके.
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