राष्ट्रपति चुनाव के लिए यशवंत सिन्हा की उम्मीदवारी ने कमोबेश विपक्ष को एकजुट किया है, लेकिन महाराष्ट्र में हालिया राजनीतिक घटनाक्रम के बाद संतुलन एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू की ओर झुका हुआ है. सिन्हा खेमे की रणनीति चुनावी अंकगणित के बजाय व्यक्तित्व पर ध्यान केंद्रित करने की है. इसलिए वह एनडीए उम्मीदवार के खिलाफ एक संपत्ति के रूप में अपने लंबे अनुभव का हवाला दे रहे हैं. दोनों प्रत्याशियों ने अपना प्रचार अभियान शुरू कर दिया है और राज्यों का दौरा कर रहे हैं.
सिन्हा ने कहा, “ये मेरी आखिरी चुनावी लड़ाई होगी. मैंने अपने जीवन में कई चुनावी लड़ाई लड़ी और यह मेरी आखिरी लड़ाई है और मुझे बहुत खुशी है कि मैं देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद के लिए प्रतिस्पर्धा करके अपने चुनावी करियर पर हस्ताक्षर कर रहा हूं”.
टीआरएस का मिला समर्थन
सिन्हा शनिवार को तेलंगाना में थे, जहां टीआरएस ने उन्हें अपना समर्थन देने की पेशकश की है. मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने व्यक्तित्व कारक का हवाला देते हुए कहा, “हम भाग्यशाली हैं कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए एक अच्छे नेता का चयन किया है. मैं सभी सांसदों से दोनों उम्मीदवारों की तुलना करने और सिन्हाजी का चयन करने की अपील करता हूं, क्योंकि हमें भारतीय राजनीति में बदलाव लाने की जरूरत है.”
मुर्मू का प्रचार भी जारी
मोदी सरकार की आलोचना करने वाले सिन्हा का कहना है कि वह महज रबर स्टैंप के अध्यक्ष नहीं रहेंगे, बल्कि संविधान की रक्षा के लिए काम करेंगे. एनडीए राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू भी प्रचार अभियान में हैं और एनडीए के अलावा ओबीसी नेताओं या आदिवासियों के नेतृत्व वाली पार्टियों तक पहुंच रही हैं. जद(यू) प्रमुख नीतीश कुमार सहित एनडीए के सभी सहयोगी एकजुट होकर भाजपा की पसंद का समर्थन कर रहे हैं.
कांग्रेस समर्थित झामुमो का द्रौपदी को समर्थन
इसके अलावा, दो अन्य राजनीतिक दलों, बीजू जनता दल और वाईएसआरसीपी (ओडिशा और आंध्र प्रदेश में क्रमश: सत्ताधारी दल) के नेताओं ने द्रौपदी मुर्मू के नामांकन पत्र पर हस्ताक्षर किए, जिससे उनके जीतने का मौका और मजबूत हो गया है. बसपा प्रमुख मायावती ने मुर्मू को अपना समर्थन देते हुए कहा कि आदिवासी पार्टी के आंदोलन का एक अभिन्न हिस्सा हैं. झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), जो कांग्रेस के साथ गठबंधन में झारखंड में सत्ता में है, पर भी एनडीए के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का समर्थन करने का दबाव है, क्योंकि मुर्मू झारखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं.
मुर्मू को ज्यादा समर्थन मिलने की संभावना
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बारे में कहा जाता है कि वह अलग विचार रखती हैं, क्योंकि उन्होंने कहा कि वह एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने पर विचार कर सकती थीं, अगर भाजपा ने उन्हें अपनी पसंद के बारे में पहले बता दिया होता. उन्होंने कहा, “द्रौपदी मुर्मू के जीतने का एक बेहतर मौका है. देश में बदलते राजनीतिक परिदृश्य और आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए दौपदी मुर्मू को विपक्षी दलों से अधिक समर्थन मिलने की संभावना है.
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