चंडीगढ़। पंजाब सरकार ‘ऑपटिमम यूज ऑफ वेकेंट गवर्मेंट लैंड’ योजना के तहत ज़मीन बेचेगी . आर्थिक संकट से जूझ रही पंजाब सरकार की नजर अब विभिन्न विभागों की सरकारी जमीनों पर है। वह इन्हें बेचकर संकट को हल करने के बारे में सोच रही है। सरकार की नजर अकेले लुधियाना शहर की 124.34 एकड़ ऐसी जमीन पर है, जोकि शहर के बीचों बीच है।

इसे सरकार ‘ऑपटिमम यूज ऑफ वेकेंट गवर्मेंट लैंड’ योजना के तहत बेचना चाहती है। सबसे ज्यादा जमीन जल स्रोत व पावरकाम की है, जिसकी कीमत करोड़ों में आंकी जा रही है।

राज्य सरकार ने इन दोनों विभागों सहित अन्य विभागों को भी अपनी-अपनी जमीन चिह्नित करके ग्रेटर लुधियाना एरिया डेवलपमेंट अथारिटी (ग्लाडा) को सौंपने को कहा है ताकि वह इसकी नीलामी करके पैसा जुटा सके। सरकार लाडोवाल स्थित सीड फार्म की जमीन भी बेचना चाहती है लेकिन उसकी कितनी जमीन को बेचा जाना है, यह अभी स्पष्ट नहीं है।

लुधियाना में सरकारी जमीन बेचने की तैयारी एक महीने पहले से शुरू हो चुकी है। इसी के चलते एक अक्टूबर को मुख्य सचिव केएपी सिन्हा ने संबंधित विभागों के प्रमुख सचिवों और प्रशासनिक सचिवों के साथ बैठक की थी।

इस बैठक के मिनट्स भी जारी कर दिए गए हैं, जिसमें कहा गया है कि सभी विभाग अपनी-अपनी जमीन चिह्नित कर उसे ग्लाडा को सौंपने का काम जल्द पूरा करें। इस बैठक में जिन प्रापर्टीज को लेकर चर्चा की गई, उनमें डिप्टी कमिश्नर दफ्तर के सामने जल स्रोत विभाग की 8.18 एकड़ जमीन शामिल है और इसका एक हिस्सा नीलामी पर लगा हुआ है।

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पंजाब पर इस समय 3.76 करोड़ का कर्ज

पंजाब पर इस समय 3.76 लाख करोड़ का कर्ज है। सरकार को हर साल 23,900 करोड़ रुपये इस पर ब्याज देना पड़ रहा है। सरकार की आमदनी का ज्यादातर पैसा बिजली सब्सिडी पर खर्च हो रहा है। सब्सिडी के रूप में सरकार को 20,200 करोड़ रुपये का वार्षिक बोझ पड़ रहा है। खास बात यह है कि सरकार की आमदनी के स्रोत नहीं बढ़ रहे हैं।