राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। राम राजा सरकार की नगरी ओरछा मध्यप्रदेश की चौथी विश्व धरोहर बनने जा रही है। इसे लेकर प्रदेश के सीएम डॉ मोहन यादव ने खुशी जताई है। उन्होंने कहा कि विश्वभर में गूंजेगी, मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर की गूंज। साथ ही मुख्यमंत्री ने केंद्र और मध्य प्रदेश के पर्यटन विभाग की पूरी टीम को बधाई दी है।

सीएम डॉ मोहन यादव ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर पोस्ट कर लिखा- विश्वभर में गूंजेगी, मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर की गूंज…हमारे लिए बड़े ही हर्ष का विषय है कि हमारे राम राजा सरकार की नगरी ‘ओरछा’ मध्यप्रदेश की चौथी ‘विश्व धरोहर’ बनने जा रही है। यूनेस्को की आधिकारिक घोषणा के पश्चात् ओरछा नगरी देश की एकमात्र राज्य संरक्षित विश्व धरोहर बन जाएगी। केंद्र सरकार के संस्कृति, पर्यटन एवं पुरातत्व विभाग की पूरी टीम और मध्यप्रदेश के टूरिज्म विभाग तथा प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।

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आपको बता दें कि मध्य प्रदेश की अयोध्या कही जाने वाली राम राजा की नगरी ओरछा को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में जल्द ही मान्यता मिलेगी। यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति ने ओरछा के डोजियर (संकलित दस्तावेजों) को मंजूरी दे दी है। ओरछा वर्तमान में यूनेस्को की टेंटेटिव लिस्ट (विश्व धरोहर स्थल की अस्थायी सूची) में शामिल है।

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ओरछा की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों की जानकारी

  • बुंदेला स्थापत्य शैली: ओरछा का स्थापत्य बुंदेला शासकों द्वारा विकसित किया गया था, जो अद्वितीय स्थापत्य शैली का प्रतीक है, जिसमें महलों, मंदिरों, और किलों का समावेश है।
  • जहांगीर महल: ओरछा का प्रसिद्ध जहांगीर महल, मुगल और राजपूत स्थापत्य का अनूठा संगम है। इसे मुगल सम्राट जहांगीर के स्वागत के लिए बनवाया गया था।
  • राजा राम मंदिर: भारत में एकमात्र ऐसा मंदिर जहां भगवान राम को राजा के रूप में पूजा जाता है। यह ओरछा की धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता को दर्शाता है।
  • चतुर्भुज मंदिर: यह विशाल और भव्य मंदिर अनूठी वास्तुकला की उत्कृष्ट मिसाल है।
  • ओरछा किला परिसर: ओरछा का किला परिसर बुंदेलखंड क्षेत्र की शक्ति और प्रतिष्ठा का प्रतीक है, जिसमें महल, दरबार हॉल और अन्य ऐतिहासिक संरचनाएं शामिल हैं।
  • बेतवा नदी का किनारा: ओरछा बेतवा नदी के किनारे स्थित है, जो इसे प्राकृतिक सुंदरता प्रदान करता है और आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक यात्रा के लिए आकर्षक बनाता है।
  • शाही छत्रियां: बेतवा नदी के किनारे स्थित ओरछा की शाही छत्रियां बुंदेला राजाओं की स्मृति में बनवाई गईं और शाही वास्तुकला का एक शानदार उदाहरण हैं।
  • अमर महल और लक्ष्मी नारायण मंदिर: इन मंदिरों में की गई भित्ति चित्रकारी और वास्तुकला बुंदेला शासकों की धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक योगदान को दर्शाती है।

ओरछा को यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट के रूप में नामांकित होने पर ये होंगे फायदे

  • यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर का दर्जा मिलने से ओरछा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक प्रमुख सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थल के रूप में मान्यता मिलेगी।
  • नामांकन के बाद अंतरराष्ट्रीय और घरेलू पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
  • पर्यटन के विकास से स्थानीय समुदाय के लिए रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
  • यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट बनने पर ओरछा को विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों और संस्थाओं से संरक्षण और विकास के लिए सहयोग मिल सकेगा।
  • स्थानीय शिल्प, हस्तकला और अन्य सांस्कृतिक उत्पादों का प्रचार-प्रसार बढ़ेगा, जिससे उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी।
  • यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट बनने से ओरछा पर शिक्षा, शोध और अध्ययन के नए अवसर खुलेंगे, जिससे इतिहासकारों और शोधकर्ताओं का ध्यान आकर्षित होगा।
  • यूनेस्को की मान्यता से ओरछा में स्थायी और पर्यावरण संवेदनशील पर्यटन विकास को बढ़ावा मिलेगा, जिससे लंबे समय तक पर्यटन की संभावनाओं को मजबूती मिलेगी।

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